आचार्यश्री महाश्रमण जी के दीक्षा कल्याण वर्ष की सम्पन्नता पर आयोजन

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आचार्यश्री महाश्रमण जी के दीक्षा कल्याण वर्ष की सम्पन्नता पर आयोजन

आचार्य महाश्रमण का धैर्य, गाम्भीर्य, माधुर्य जन-जन को प्रभावित करता है। आचार्यश्री का अंतःकरण शांति, समता और करुणा से आप्लावित है। ये विचार 'शासनश्री' साध्वी कुंथुश्रीजी ने आचार्य श्री महाश्रमण के संयम जीवन के 50वर्ष की सम्पूर्णता पर मालू भवन में आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए। साध्वीश्री ने कहा कि आचार्य महाश्रमण ने अपना सम्पूर्ण जीवन परोपकार को समर्पित कर दिया है, आप का दीक्षोत्सव युगों-युगों तक मनाया जाए और सभी को प्रेरणा मिलती रहे। साध्वी सुमंगलाजी ने कहा कि आचार्य प्रवर ने देश-विदेशों में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति का संदेश देकर राष्ट्र को समृद्ध करने की पदयात्रा की है। हम सौभाग्यशाली हैं कि ऐसे विश्व संत का हमें सान्निध्य मिला। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक ताराचन्द सारस्वत ने आचार्यप्रवर को नमन करते हुए उनके द्वारा देशभर में किए जा रहे नशामुक्ति के कार्य को सराहा और उनके जीवन से प्रेरणा लेने की बात कही। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि राजस्थान विश्वकर्मा कौशल विकास बोर्ड के अध्यक्ष रामगोपाल सुथार ने अपना एक संस्मरण सुनाते हुए संतों के जीवन को प्रेरणादायक कहा। सुथार ने कहा कि आचार्यश्री का स्नेहिल आशीर्वाद हमेशा उन्हें मिलता रहा है। कार्यक्रम में मौजूद उप-जिला कलेक्टर उमा मित्तल ने कहा कि आचार्य श्री महाश्रमणजी का दीक्षा दिवस मनाना पूरे समाज के लिए कल्याणकारी है। मुख्य वक्ता साहित्यकार डॉ. चेतन स्वामी ने कहा कि आचार्य श्री महाश्रमणजी में श्रेष्ठ आचार्य के सभी गुण तो हैं ही, परन्तु वे श्रेष्ठ शासनकर्ता भी हैं। उन्होंने तेरापंथ धर्म संघ को बहुत ऊंचाई तक पहुंचाया है। वे बौद्धिक होने के साथ दीर्घ तपस्वी भी हैं। डॉ. स्वामी ने कहा कि जिन जातियों, सम्प्रदायों के पास गुरु हैं, उन जातियों के लोग भौतिक और अभौतिक दोनों तरह की उन्नति का वरण कर रहे हैं। गुरु विहिन जातियां विभिन्न तरह के कालगत संक्रमणों से बच नहीं सकती। कार्यक्रम में आचार्यश्री महाश्रमण को श्रद्धासिक्त अभिनन्दन करते हुए नेता प्रतिपक्ष अंजू मनोज पारख ने मंगलाचरण करते हुए कार्यक्रम का शुभांरभ किया। सभाध्यक्ष विजयराज सेठिया, महिला मंडल संरक्षिका झिणकार देवी बोथरा, तुलसीराम चौरड़िया, अणुव्रत समिति से सत्यनारायण स्वामी, सुमित बरड़िया व शुभम बोथरा ने आचार्य प्रवर के प्रति अभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम में समागत अतिथियों का सभा द्वारा प्रतीक चिन्ह देकर सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन पवन सेठिया ने किया।