तेरापंथ महिला मंडल के विविध आयोजन

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तेरापंथ महिला मंडल के विविध आयोजन

अभातेममं के निर्देशानुसार तेरापंथ महिला मंडल गंगाशहर द्वारा 'महाश्रमणोस्तु मंगलम्' कार्यक्रम दो चरणों में आयोजित किया गया। प्रथम चरण आचार्यश्री महाश्रमणजी का जन्मोत्सव के साथ मनाया गया। महिला मंडल की बहिनों ने महाश्रमण अष्टकम से मंगलाचरण किया। मीनाक्षी आंचलिया ने स्वागत में अपने विचार रखे। मंडल की बहनों ने आचार्य श्री महाश्रमण पर गीत प्रस्तुत किया। 'आचार्य की अष्टगणी संपदा' विषय पर साध्वी प्रांजलप्रभाजी ने अपने उद्‌गार व्यक्त करते हुए कहा कि आचार्यश्री जी के इन्द्रिय संयम, प्राणी मात्र के प्रति सहानुभूति, आचार निष्ठा, अहिंसा निष्ठा आदि अद्भुत हैं।
साध्वी स्वस्थप्रभा जी ने कहा कि मुझे दुगुनी खुशी है कि मैं आचार्यश्री के समकालीन दीक्षार्थी थी। बाल मुनि मुदित, मुनि उदित, अन्य वैरागी और मैं हम सब मंत्री 'मुनि' सुमेरमलजी स्वामी से प्रेरित होकर धर्म के मार्ग पर आगे बढ़े। सेवाकेन्द्र व्यवस्थापिका साध्वी चरितार्थप्रभाजी ने अपने वक्तव्य में कहा कि गुरु के प्रति अटूट आस्था होने पर हम कठिन से कठिन समस्या से मुक्त हो सकते हैं। साध्वीश्री ने आचार्यप्रवर की स्थितप्रज्ञता, इन्द्रिय संयम, वचन सम्पदा, वाचना संपदा आदि के बारे में बताया।
द्वितीय चरण का आयोजन साध्वी चरितार्थप्रभाजी के सान्निध्य में शांति निकेतन के प्रांगण में किया गया। जिसके अंतर्गत मंगलाचरण मंडल की बहनों ने ‘महाश्रमण अष्टकम’ के द्वारा किया। तत्पश्चात आचार्य श्री महाश्रमणजी के जीवन सम्बंधित विषयों पर रक्षा बोथरा ने अनुशासना, सूची भादानी ने साहित्य, सरोज भंसाली ने अहिंसा यात्रा, सुनीता पुगलिया ने अनासक्त चेतना एवं श्रिया गुलगुलिया ने जनसंपर्क पर अपने विचार व्यक्त किये।
आचार्य महाश्रमण द्वारा रचित पुस्तक ‘परम सुख का पथ’ पर लिखित प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें लगभग 23 प्रतिभागियों ने भाग लिया। साध्वी चरितार्थप्रभाजी ने कहा परम सुख वहीं है जहां हम भौतिक वस्तुओं के ऊपर निर्भर न रहकर अपनी आत्मा के शाश्वत सुख को प्राप्त करें। मंडल अध्यक्ष संजू लालानी ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम संयोजक प्रेम बोथरा और बुलबुल बुच्चा रही। कार्यक्रम का संचालन मंजू लुणिया और बुलबुल बुच्चा ने किया।