मानसिक व भावनात्मक समस्याओं का समाधान प्रेक्षाध्यान
तेरापंथ भवन में साध्वी डॉ. मंगलप्रज्ञा जी के सान्निध्य में 'क्या आप स्वस्थ रहना चाहतें हैं?' विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उपस्थित संभागी शिविरार्थियों को संबोधित करते हुए साध्वी डॉ. मंगलप्रज्ञा जी ने कहा- प्रेक्षा प्रणेता आचार्यश्री महाप्रज्ञ द्वारा प्रदत्त प्रेक्षाध्यान आज विश्वश्यापी बन गया है। प्रेक्षाध्यान साधक इसकी साधना कर जीवन की धारा बदल रहे हैं। स्वस्थ रहने के लिए सबसे प्रथम महत्त्वपूर्ण सूत्र है- व्यक्ति अपनी जीवन शैली को बदले, उसे व्यवस्थित बनाए। साध्वीश्री ने कहा - प्रेक्षाध्यान के प्रयोगों से लाखों-लाखों व्यक्तियों ने अपनी शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक समस्याओं का समाधान पाया है। हमारी भारतीय जीवन शैली वैज्ञानिक रही है। शारीरिक, मानसिक बदलाव के लिए आहार संयम की साधना भी जरूरी है, स्वस्थ शरीर मन को स्वस्थ रखने वाला है।
साध्वीश्री ने आचार्य श्री महाप्रज्ञ द्वारा लिखित पुस्तक 'तुम स्वस्थ रह सकते हो' के स्वाध्याय की और उसमें उल्लेखित प्रयोगों को करने की विशेष प्रेरणा दी। साध्वीश्री ने इस वर्ष में प्रेक्षाध्यान की कम से कम 50 कार्यशालाओं के आयोजन की प्रेरणा देते हुए कहा कि हर व्यक्ति को कम से कम 15 मिनट का समय प्रतिदिन ध्यान साधना में लगाना चाहिए। अपनी भावी पीढ़ी को संस्कारों की अति आवश्यकता है। शरीर पर अनुशासन जरूरी है, उससे भी अधिक जरूरत है- घर-परिवार में अनुशासन हो, घर के बच्चे किस दिशा की ओर जा रहे हैं, इस ओर भी ध्यान देते रहें। मोबाईल आदि का प्रयोग कम से कम हो।
समय की मूल्यवत्ता को समझने का प्रयास हो। अपने संवेगों पर नियंत्रण रखनें का प्रयास होना चाहिए। साध्वी सुदर्शनप्रभाजी ने प्रेक्षा-गीत का संगान किया, साध्वी डॉ. राजुलप्रभाजी ने आसन, प्राणायाम, कायोत्सर्ग, ध्यान आदि की जानकारी दी एवं प्रयोग करवाए। साध्वी चैतन्यप्रभाजी ने मुद्रा विज्ञान एवं ध्वनि विज्ञान से परिषद को अवगत कराया।