अनित्य जीवन में वीतराग पथ की ओर कदम बढ़ाएं
मुनि जिनेशकुमार जी के सान्निध्य में वीतराग पथ कार्यशाला का आयोजन तेरापंथ युवक परिषद उत्तर हावड़ा द्वारा तेरापंथ भवन में किया गया। इस अवसर पर उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि जिनेशकुमार जी ने कहा – मनुष्य का जीवन अनित्य है, कुश के अग्रभाग पर स्थित जल बिन्दु के समान है। जीवन की क्षण भंगुरता को समझकर व्यक्ति सद् आचरण कर वीतराग पथ की ओर कदम बढ़ाए। वीतरागी दुनिया का सर्वाधिक सुखी व्यक्ति होता है। वीतरागी बनने के लिए स्नेह का त्याग, तृष्णा का त्याग और विषयों से विरक्ति जरूरी है। जिन्दगी का कोई भरोसा नहीं है, कब आयुष्य पूरा हो जाए? व्यक्ति संसार की नश्वरता को समझकर अध्यात्म की ओर कदम बढ़ाए।
व्यक्ति बड़े-बड़े सपना लेता है, बड़ी-बड़ी कल्पना करता है, सौ वर्ष के सामान की व्यवस्था करता है लेकिन दूसरे ही क्षण मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। मुनिश्री ने आगे कहा- हम ने दुर्लभ मानव भव पाया है, हमें जैनधर्म व तेरापंथ शासन मिला है। इस मनुष्य जीवन को सफल बनाने के लिए, जन्म-मरण से छुटकारा पाने के लिए धर्म की शरण स्वीकार करें। इस अवसर पर मुनि परमानंदजी ने कहा- मोक्ष प्राप्ति के प्रति तीव्र वैराग्य, दृढ़ संकल्प एवं संयम का स्वीकार वीतराग पथ पर बढ़ने का माध्यम बन सकता है।
मुनि कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया। कार्यक्रम का शुभारंभ तेयुप सदस्यों द्वारा विजय जीत के संगान से हुआ। मंगलाचरण ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने प्रस्तुत किया। ज्ञानशाला ज्ञानार्थियों ने आचार्यश्री महाश्रमण जीवन झांकी की सुन्दर प्रस्तुति दी। जैन श्वेताम्बर तेरांपथी महासभा के महामंत्री विनोद बैद, उत्तर हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष राकेश संचेती के अपने विचार व्यक्त किए। आभार ज्ञापन ज्ञानशाला संयोजिका मीना भटेवरा व संचालन मुनि परमानंदजी ने किया ।