दो गुरुओं की कसौटी में खरे उतरे : आचार्यश्री महाश्रमण
अभातेममं के तत्वावधान में तेरापंथ महिला मंडल जसोल द्वारा 'शासनश्री' साध्वी सत्यप्रभा जी आदि ठाणा 4 के सान्निध्य में ‘महाश्रमणोस्तु मंगलम’ कार्यक्रम का आयोजन पुराना ओसवाल भवन, जसोल में हुआ। साध्वीश्री द्वारा नमस्कार महामंत्र से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। मंत्री अरुणा डोसी ने ‘महाश्रमण अष्टकम’ से मंगलाचरण किया। मंडल अध्यक्षा कंचन देवी ढेलडिया ने कार्यक्रम की जानकारी देते हुए गीतिका का संगान किया। उपासिका लीला देवी सालेचा, ज्ञानशाला प्रशिक्षिका पुष्पा देवी बुरड़, उपासिका मोहनी देवी संकलेचा ने कविता, मुक्तक, भाषण द्वारा भावना व्यक्त की। साध्वी यशस्वीप्रभाजी ने कहा की आचार्य महाश्रमण जी का ‘इंद्रिय संयम’ बेजोड़ है।
साध्वी ध्यानप्रभाजी ने ‘आचार संपदा’ के बारे में बताते हुए कहा की दो तरह की संपदाए होती हैं, लौकिक और लोकोत्तर। लोकोत्तर संपदा स्थाई होती है। हर श्रावक को सदैव गुरु वंदना करनी चाहिए। 'शासनश्री' साध्वी सत्यप्रभाजी ने अपने वक्तव्य में बताया की आचार्यश्री महाश्रमणजी दो-दो गुरुओं से तराशे गए हैं। दोनों गुरु की कड़ी कसौटी में खरे उतरने वाले आचार्य हैं। उन्होंने आचार्य श्री तुलसी एवं आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी द्वारा देखे गए सपनों को साकार किया है। मुख्यमुनि व साध्वीवर्या जैसे पदों का सृजन किया। श्रावक समाज को शनिवार की सामायिक तथा सुमंगल साधना जैसे अवदान देकर आध्यात्मिक विकास की राह दिखाई। ऐसे गुरु की अभ्यर्थना करके धन्यता का अनुभव होता है। उपाध्यक्ष सरोज भंसाली ने बताया की इस अवसर पर आचार्य महाश्रमण की पुस्तक ‘धम्मो मंगल मुक्किट्ठं’ के आधार पर परीक्षा का आयोजन भी किया गया। जयश्री भंसाली ने आभार व्यक्त किया व कार्यक्रम का संचालन हेमा बागमार ने किया।