अनुशास्ता अभिवंदना   समारोह का आयोजन

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अनुशास्ता अभिवंदना समारोह का आयोजन

आचार्यश्री महाश्रमण दीक्षा कल्याण महोत्सव के उपलक्ष में अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के तत्वावधान में ‘अनुशास्ता अभिवंदना’ समारोह का आयोजन मुनि जिनेशकुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में उत्तर हावड़ा तेरापंथ भवन में अणुव्रत समिति हावड़ा एवं कोलकाता द्वारा आयोजित किया गया। इस अवसर पर उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि जिनेशकुमार जी ने कहा- भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान सर्वोपरि होता है। गुरु मोक्ष का मार्ग दिखलाते हैं। गुरु की सन्निधि में आने वाला व्यक्ति आशुतोष बन जाता है।
आचार शब्द में चार आ शब्द है- आज्ञा, आगम, आस्था और आराधना। विचार शब्द में चार वि है- विनय, विरक्ति, विवेक, विधायक भाव। ये सारे शब्द आचार्यश्री महाश्रमण जी के जीवन चरित्र में साकार हो रहे हैं। आचार्यश्री आत्म आराधक व श्रुत आराधक हैं। उनके विचारों में उदारता व निर्मलता है। इस अवसर पर मुनि कुणालकुमार जी ने अभिवंदना गीत प्रस्तुत किया। मुख्य वक्ता रतनलाल दुगड़ ने कहा - आचार्यश्री महाश्रमण वीतराग पथ के पथिक हैं वे पंचाचार की साधना, रत्नत्रयी की आराधना में सदैव सजग रहते हैं।
आचार्यप्रवर 'सत्यम् शिवम् सुन्दरम्' के साकार रूप हैं। द्वितीय मुख्य वक्ता सुशील चोरड़ि‌या ने कहा - आचार्यश्री महाश्रमणजी की विनयशीलता, श्रमशीलता, पापभीरूता, निस्पृहता विशिष्ट है। उन्हें महात्मा महाश्रमण करें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। वे स्पष्ट, दोष रहित भाषा के प्रति जागरूक रहते हैं। इस अवसर अणुविभा सदस्य पंकज दुधोड़िया, विकास दुगड़ की विशेष उपस्थिति रही। मंगलाचरण अणुव्रत समिति के सदस्यों द्वारा अणुव्रत गीत के संगान से किया गया। स्वागत भाषण अणुव्रत समिति कोलकाता के अध्यक्ष प्रदीप सिंघी ने प्रस्तुत किया। आभार ज्ञापन अणुव्रत समिति हावड़ा के मंत्री वीरेन्द्र बोहरा ने किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि परमानंद जी ने किया।