संस्कारों से ही जीवन में पाई जा सकती है बड़ी सफलता

गुरुवाणी/ केन्द्र

संस्कारों से ही जीवन में पाई जा सकती है बड़ी सफलता

गंगाशहर में पंचदिवसीय आवासीय संस्कार निर्माण शिविर का हुआ आयोजन

प्रथम दिवस -
श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, गंगाशहर द्वारा पांच दिवसीय आवासीय संस्कार निर्माण शिविर का शुभारंभ आशीर्वाद भवन गंगाशहर में हुआ। जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा के तत्वावधान में आयोजित इस शिविर में अंचल के 11 क्षेत्रों से 104 शिविरार्थियों ने सहभागिता दर्ज करवाई। शिविर के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए साध्वी सहजप्रभा जी ने कहा कि तेरापंथ धर्म संघ के नौवें अधिशास्ता आचार्यश्री तुलसी ने भावी पीढ़ी में संस्कारों के बीजारोपण हेतु ज्ञानशाला का अवदान दिया। युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी भी संस्कारों के निर्माण व पल्लवन हेतु बहुधा अपने उपदेशों में समझाते हैं कि अच्छे संस्कारों से बालक अच्छे इंसान बन सकते हैं तथा अच्छे इंसान से भगवान भी बन सकते हैं।
डॉ. समणी मंजूप्रभा जी ने कहा कि आचार्य श्री तुलसी भावी पीढ़ी के संस्कारों के प्रति बहुत सजग थे। उन्होंने शिविर में जैन दर्शन, जैन परंपरा के साथ-साथ व्यक्तित्व विकास के बारे में भी प्रशिक्षण होने की बात कही। समणी स्वर्णप्रज्ञा जी ने कहा कि आपने सही समय में सही निर्णय लिया है। यह पांच दिन का समय आपका गोल्डन समय होगा। जिस प्रकार एक फल से अनेक फलों का उत्पादन हो सकता है उसी प्रकार एक बालक अनेक बालकों के जीवन में प्रकाश ला सकता है। कार्यक्रम का शुभारंभ नमस्कार महामंत्र के सामूहिक उच्चारण से हुआ।
तेरापंथी महासभा के संरक्षक जैन लूणकरण छाजेड़, शिविर संयोजक राजेश बांठिया, तेरापंथी सभा के अध्यक्ष जतन लाल छाजेड़ ने शुभकामनाएं देते हुए संबोधित किया। कार्यक्रम का सफल संचालन सभा के कोषाध्यक्ष रतन लाल छलाणी ने किया। डॉ. समणी मंजूप्रभा जी, समणी संकल्पप्रज्ञा जी, धीरेंद्र बोथरा, रेखा चौरडि़या, पीयूष नाहटा ने विभिन्न सत्रों में शिविरार्थियों को प्रशिक्षित किया।
द्वितीय दिवस -
संस्कार निर्माण शिविर के द्वितीय दिवस का प्रारंभ प्रेक्षाध्यान प्रशिक्षक धीरेंद्र बोथरा एवं प्रदीप ललवाणी द्वारा योगासन से हुआ। द्वितीय सत्र में समणी मंजुप्रज्ञाजी ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से तेरापंथ के आद्यप्रवर्तक आचार्य भिक्षु के बारे में बताया। ममता रांका ने बच्चों को जैन लाइफस्टाइल के बारे में बताया। समणी स्वर्णप्रज्ञाजी ने बच्चों को मेमोरी पावर को बढ़ाने के टिप्स तथा चेतन एवं अचेतन मन के विषय में बताया। रेखा चौरडिया ने कायोत्सर्ग का प्रयोग करवाया। तृतीय सत्र में बच्चों को लोगस्स के बारे में बताया एवं चतुर्थ सत्र में पीयूष नाहटा ने क्षमा की व्याख्या की। अंत में नमस्कार महामंत्र पर क्विज में बच्चों ने उत्साह पूर्वक भाग लिया।
तृतीय दिवस -
शिविर के तीसरे दिन बच्चों ने तेरापंथ भवन और शान्ति निकेतन में विराजित साधु-साध्वियों के दर्शन कर मंगल पाथेय प्राप्त किया। समणी मंजुप्रज्ञा ने कायोत्सर्ग का अभ्यास करवाया। समणी स्वर्णप्रज्ञाजी ने 'अंक विज्ञान - जानो शत्रु-मित्र को,' विषय पर न्यूमरोलॉजी के आधार पर व्यक्तित्व को सफल बनाने की विधि बताई। मोटिवेशनल स्पीकर डॉ. चक्रवर्ती नारायण श्रीमाली ने ऊर्जा, उत्सुकता और उल्लास से उत्कर्ष बनने की बात कही। कोमल पुगलिया एवं मनोज छाजेड़ की मधुर गीतिकाओं से आज के सत्रों का समापन हुआ।
चतुर्थ दिवस -
चतुर्थ दिवस ज्ञानवर्धक और विभिन्न आयामों से भरपूर रहा। बच्चों ने अनेक सत्रों में उत्साहपूर्वक भाग लिया। अहमदाबाद से समागत योग प्रशिक्षिका मिनल ने योग थेरेपी के माध्यम से स्वस्थ रहने के सूत्र प्रस्तुत किए। समणी डॉ. मंजुप्रज्ञा और स्वर्णप्रज्ञा जी ने 'दिशा बदलो-दशा बदलो' विषय पर बताया कि हमारे ऊपर द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव का प्रभाव पड़ता है। चारों दिशाओं से आने वाली किरणें हमारे व्यक्तित्व और विचारों पर प्रभाव डालती है, अतः सही व्यक्तित्व के निर्माण में इनका भरपूर योगदान रहता है। समणी स्वर्ण प्रज्ञा जी ने 'हमारे सच्चे दोस्त कौन?'' विषय पर प्रस्तुति देते हुए कहा कि बाहर के दोस्तों की अपेक्षा हमारा व्यवहार, चिंतन और अच्छे संस्कार ही हमारे जीवन को उज्जवल बनाते हैं। पीयूष नाहटा ने मोटिवेशनल स्पीच से बच्चों से सीधा संवाद साधा।
पंचम दिवस -
पाँच दिवसीय संस्कार निर्माण शिविर का भव्य समापन समारोह डॉ. समणी मंजूप्रज्ञा जी एवं समणी स्वर्णप्रज्ञा जी के सान्निध्य में आयोजित हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ नोखा के शिविरार्थियों द्वारा प्रस्तुत मंगलाचरण से हुआ। शिविर सह संयोजक प्रदीप लोढ़ा ने शिविर प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि शिविर में बच्चों ने योगासन, कायोत्सर्ग, प्रेक्षा ध्यान, जीवन विज्ञान, जीवन जीने के तरीका का प्रशिक्षण प्राप्त किया। समणी डॉ. मंजूप्रज्ञा जी ने जैन दर्शन, तत्वज्ञान, तेरापंथ दर्शन, तेरापंथ की परम्पराओं और सिद्धान्तों की जानकारी साझा करते हुए संस्कार निर्माण शिविरों की उपयोगिता प्रतिपादित की। उन्होंने भगवान महावीर के समता दर्शन का अध्ययन करने के लिए कहा और प्रतिदिन सामायिक साधना करने का संकल्प लेने के लिए प्रेरित किया।
समणी स्वर्णप्रज्ञा जी ने बताया कि शिविरार्थी बच्चों ने प्रतिदिन 8 से अधिक सामयिक, मौन साधना का अभ्यास, आहार संयम का जीवन जीने का अभ्यास किया। उन्होंने बताया कि संस्कारों से ही बड़ी सफलता पाई जा सकती है। शिविरार्थी जयेश छाजेड़, पुनीत बोथरा, यश बांठिया, शुभम बोथरा, यश बुच्चा, हर्षित नौलखा, दिव्यम गुलगुलिया, मुदित गोलछा, ईशान रांका ने अपने अनुभव साझा किए। संस्कार निर्माण शिविर में कार्तिक नाहटा को श्रेष्ठ शिविरार्थी, यश बांठिया को अनुशासित शिविरार्थी, धरणेन्द्र चोरडि़या को संस्कारी शिविरार्थी, यश चोपड़ा को संयमी शिविरार्थी, करण गिडिया को समयबद्ध शिविरार्थी का सम्मान किया गया। विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। कुल 97 शिविरार्थियों को पुरस्कृत किया गया। शिविर में प्रशिक्षण देने आए अहमदाबाद से मिनल चौपड़ा, मोटीवेटर पीयूष नाहटा, योग प्रशिक्षक धीरेन्द्र बोथरा, प्रदीप कुमार ललवाणी, रेखा चौरडिया, चक्रवर्ती नारायण श्रीमाली, ममता रांका को सम्मानित किया गया।
महासभा के संरक्षक जैन लूणकरण छाजेड़, महासभा के शिविर सह-संयोजक भेरूदान सेठिया, युवक परिषद अध्यक्ष महावीर फलोदिया, महिला मंडल अध्यक्षा संजू लालाणी, शान्ति प्रतिष्ठान के मंत्री दीपक आंचलिया, अणुव्रत समिति के मंत्री मनीष बाफना, धर्मेंद्र डाकलिया, तेरापंथ प्रोफेशनल फॉरम के अध्यक्ष डॉ. संजय लोढ़ा ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में आभार ज्ञापन तेरापंथी सभा के मंत्री जतनलाल संचेती ने किया। कार्यक्रम का संचालन सभा के कोषाध्यक्ष रतनलाल छलाणी ने किया। शिविर में तेरापंथी सभा, तेरापंथ युवक परिषद्, तेरापंथ किशोर मंडल, स्थानीय संयोजक रतनलाल छलाणी, सह संयोजक प्रदीप लोढ़ा, महासभा कार्यकरिणी सदस्य भेरूदान सेठिया एवं सभी कार्यकर्ताओं का श्रम नियोजित हुआ।