आचार्यश्री महाश्रमण जी के दीक्षा कल्याण वर्ष की परिसम्पन्नता पर विविध आयोजन
साध्वी उज्जवलरेखाजी के सान्निध्य में आचार्यश्री महाश्रमणजी का 50वां दीक्षा कल्याण महोत्सव तेरापंथ भवन में मनाया गया। वैशाख का महीना गुरुदेव के तीन विशेष दिवस से जुड़ा हुआ है। वैशाख शुक्ला नवमी को जन्म दिवस, वैशाख शुक्ला दशमी को पट्टोत्सव, वैशाख शुक्ला चतुर्दशी को दीक्षा दिवस। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वी नम्रप्रभा जी द्वारा महाश्रमण अष्टकम से किया गया। साध्वी उज्जवलरेखाजी ने कहा कि आचार्यश्री महाश्रमण जी विशेष प्रतिभा और गुणों के धनी हैं। गुरुदेव गुणों के सुमेरु है, विशेषताओं के पुंज हैं। आचार्य प्रवर का खाद्य संयम, शरीर संयम, इंद्रिय संयम, वाणी संयम बेजोड़ है। आपकी समता, क्षमता, वत्सलता, करुणा निस्पृहता आदि अनुत्तर है। साध्वी हेमप्रभाजी ने कविता के माध्यम से अपनी भावनाओं को रखा। साध्वी स्मितप्रभा जी ने भी गुरुदेव के प्रति मंगल कामनाएं व्यक्त की। मुमुक्षु भावना ने गुरुदेव की विशेषताओं के बारे में बताया और उन्हें अपने जीवन में उतारने के लिए प्रेरणा दी। सभी साध्वियों द्वारा सामूहिक स्वर में आचार्यश्री महाश्रमण जी के प्रति उनके गुणों का संगान किया गया। कन्या मंडल और महिला मंडल द्वारा गुरुदेव की पदयात्रा, अनुशासन, साधना, साहित्य, जनकल्याण और उनकी प्रवचन शैली को नाटिका के द्वारा बताया। ज्ञानशाला के द्वारा भी विशेष प्रस्तुति दी गई। सभा अध्यक्ष बुद्धमल लोढ़ा ने अपने विचार व्यक्त किये। साध्वी अमृतप्रभा जी ने आचार्य महाश्रमण जी के दशकों की यात्रा को बताते हुए कार्यक्रम का संचालन किया।