आचार्यश्री महाश्रमण जी के दीक्षा कल्याण वर्ष की परिसम्पन्नता पर विविध आयोजन
तेरापंथ भवन के अमृत सभागार में साध्वी रतिप्रभाजी ठाणा 4 के सान्निध्य में आचार्यश्री महाश्रमण के दीक्षा दिवस को युवा दिवस के रूप में मनाया गया। साध्वीश्री द्वारा नमस्कार महामंत्र के उच्चारण के पश्चात कन्या मंडल द्वारा मंगलाचरण किया गया। साध्वीश्री ने कहा कि आचार्यश्री महाश्रमण जी का जीवन अद्भुत, अलौकिक, विलक्षण और अनुपमेय है। तेरापंथ की यशस्वी आचार्य परंपरा में आचार्यश्री महाश्रमणजी एक दिव्ययोगी के रूप में विख्यात हैं। आपका हर क्षण अप्रमत्ता का प्रतीक है। साध्वी कलाप्रभाजी ने कहा संयम ज्ञात से अज्ञात की ओर प्रस्थान करना है, मृत्यु से अमरत्व की ओर प्रस्थान करना है। आपने कविता के द्वारा गुरुदेव के गुणों और साधना का विवरण प्रस्तुत किया। साध्वी पावनप्रभाजी ने कुशल आचार्य महाश्रमणजी की विशेषताओं के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि आचार्य प्रवर शांत, सरल, विनम्र, मधुर हैं, आपकी साधना उत्कृष्ट है। सभा एवं परिषद् सदस्यों द्वारा सुमधुर गीतिका प्रस्तुत की गई। मुमुक्षु शेफाली, मुमुक्षु रक्षा एवं मुमुक्षु साधना ने गीतिका के द्वारा अपनी भावना व्यक्त की। महिला मंडल अध्यक्षा निर्मला संकलेचा ने अपने विचार रखे। महिला मंडल की बहनों ने सुमधुर काव्यांजलि के द्वारा अपनी आस्था व्यक्त की। ऋषि चोपड़ा ने गीत का संगान किया। संघगान के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ। कार्यक्रम का संचालन साध्वी मनोज्ञयशा जी ने किया।