खण्डकाव्य ‘प्यास का सुख’ पुस्तक पर समीक्षा एवं परिचर्चा संगोष्ठी

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खण्डकाव्य ‘प्यास का सुख’ पुस्तक पर समीक्षा एवं परिचर्चा संगोष्ठी

मुनि जिनेशकुमार जी के सान्निध्य में 'शासनश्री' मुनि मोहनलालजी 'आमेट' द्वारा लिखित खण्डकाव्य पुस्तक 'प्यास का सुख’ पर समीक्षा एवं परिचर्चा संगोष्ठी का आयोजन तेरापंथ भवन में उत्तर हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा किया गया। इस अवसर पर मुनि जिनेशकुमार जी ने कहा - आचार्यश्री तुलसी की पावन प्रेरणा से 'शासनश्री' मुनि मोहनलाल जी आमेट ने अंजना महासती के चरित्र पर सोलह अध्यायों में खण्डकाव्य की रचना की जो ''प्यास का सुख'' नामक पुस्तक के रूप में प्रकाशित है। इस खण्डकाव्य को तेरापंथ धर्मसंघ में हिन्दी भाषा में लिखे गए उच्चस्तरीय खण्डकाव्यों में प्रथम माना गया है। इसमें अंजना महासती के जीवन चरित्र को काव्य के माध्यम से व्याख्यायित किया गया है, साथ ही मानव समाज को अनेक सीख भी दी गई है।
आज कवियों द्वारा की गई समीक्षा एवं परिचर्चा से इस कृति को एक नई पहचान मिली है। इस कृति को पढ़कर सभी पाठकों के मन में एक नया संकल्प व नई प्रेरणा का उदय हो। आपने आगे कहा- मुनि मोहनलालजी 'आमेट' तेरापंथ धर्मसंघ के विशिष्ठ संत थे, वे पापभीरू, आत्मार्थी, विनम्र व सरल स्वभावी थे। उन्होंने आचार्यश्री तुलसी का विश्वास प्राप्त किया और निष्काम भाव से संघ की सेवा की।
इस अवसर पर मुनि परमानंद जी ने कहा- मुनि मोहनलाल जी आमेट धर्मसंघ के प्रख्यात कवि थे। उन्होंने खण्डकाव्य की रचना कर एक महनीय कार्य किया। मुनि कुणालकुमार जी के मंगलाचरण से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इस अवसर पर कवि गजेन्द्र नाहटा, कवियित्रि कमला छाजेड़, शीला संचेती, मृदुला कोठारी, मीनाक्षी छाजेड़, ज्योत्स्ना दुगड़ आदि ने अपने भावों की प्रस्तुति दी। डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी द्वारा प्रेषित पत्र का वाचन उत्तर हावड़ा सभा के अध्यक्ष राकेश संचेती ने स्वागत भाषण के साथ किया। मुख्य वक्ता दुर्गा व्यास ने पुस्तक के सन्दर्भ में विस्तृत समीक्षा प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन तरुण सेठिया ने किया। आभार ज्ञापन सभा के मंत्री सुरेन्द्र बोथरा ने किया।