शिविर में किया संस्कारों का बीजारोपण

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शिविर में किया संस्कारों का बीजारोपण

साध्वी संयमलताजी के सान्निध्य में ज्ञानशाला के बच्चों के लिए 'उत्थान -न्यू डायरेक्शन एंड न्यू अप्रोच' शिविर का आयोजन किया गया। साध्वीश्री ने बच्चों को सम्बोधित करते हुए कहा- आचार्य तुलसी ने बच्चों के भविष्य का निर्माण करने हेतु ज्ञानशाला का उपक्रम प्रारम्भ किया। बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण के लिए उन्हें ज्ञानशाला भेजा जाता है। बच्चे संस्कारों से सरोबार होकर जीवन को ऊचाईयों पर ले जा सकते हैं। साध्वी मार्दवश्रीजी ने कहा- संस्कृति को बदलने व संस्कारों का सारा श्रेय मीडिया युग को जाता है। ये मीडिया युग आज संस्कारों का पतन कर रहा है, इस युग में एक ज्ञानशाला ऐसा माध्यम है जो बच्चों में सभ्य संस्कारों का बीजारोपण कर रही है।
साध्वी मनीषाप्रभाजी ने कहा कि जीवन को सफल बनाने के तीन माध्यम हैं - विनम्रता, ग्रहणशीलता एवं घुलनशीलता। माता-पिता व बड़ों के प्रति विनम्रता होनी चाहिए। प्रकृत्ति का हर कण हमें कुछ सिखाता है, उसे ग्रहण कर विकास की ओर अग्रसर हो सकते हैं। चीनी की तरह व्यक्ति के जीवन से मिठास, निर्मलता व घुलनशीलता आ जाए तो सार्थक जीवन जिया जा सकता है। साध्वीश्री ने स्मार्ट लर्निंग के बारे में बच्चों को जानकारी दी।
कन्या मंडल से ताशु मेहता ने बच्चों को अपने समय का सदुपयोग करने, टेक्नोलॉजी का सही उपयोग करने की प्रेरणा दी गई। वक्ता खुशी गुगलिया द्वारा पॉजिटिव थिंकिंग पर बच्चों को एक्टिविटी करवाई गई। स्पीकर सुनिधि और मानसी के द्वारा समय प्रबंधन पर विचार व्यक्त किये गए। महिला मंडल से मधु गुगलिया, संयोजिका पदमा मेहता ने अपने विचार व्यक्त किये। शिविर में सभा, युवक परिषद और ज्ञानशाला व्यवस्थापक संदीप सामरा का श्र,म नियोजित हुआ। क्षेत्रीय संयोजिका कांता नौलखा, ज्ञानशाला प्रभारी महावीर मारू, मुख्य प्रशिक्षिका निशा देरासरिया की उपस्थिति रही। कार्यक्रम में मैसूर, नंजनगुड़, हुनसुर आदि क्षेत्रों के 30 ज्ञानाशाला प्रशिक्षक व लगभग 125 बच्चों की उपस्थिति रही।