सफलता के लिए ध्यान साधना है सर्वोत्तम टॉनिक

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सफलता के लिए ध्यान साधना है सर्वोत्तम टॉनिक

मुनि जिनेशकु‌मार जी के सान्निध्य में प्रेक्षा फाउंडेशन के तत्वावधान में प्रेक्षाध्यान कार्यशाला का आयोजन शंकर विद्यालय में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, हिन्दमोटर द्वारा किया गया। इस अवसर पर मुनि जिनेशकुमार जी ने कहा- जीवन के पहाड़ की चढ़ाई बहुत सीधी नहीं होती, इसमें कहीं चढ़ना पड़‌ता है, कहीं उतरना पड़‌ता है, कहीं घुमावदार पथ पर ‌पार करना पड़‌ता है तो कहीं सीधी पगडंडी में चलना पड़ता है। परिस्थतियों को झेलने वाला ही सफलता के शिखर पर आरोहण कर सकता है। सफलता के लिए ध्यान साधना सर्वोत्तम टॉनिक है। ध्यान से चेतना का रुपान्तरण होता है। ध्यान से व्यक्ति शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक स्वास्थ्य को प्राप्त होता है। ध्यान का अर्थ है जागरूकता। गहराई से देखना ही प्रेक्षाध्यान है। प्रेक्षाध्यान से अन्तर्दृष्टि का विकास होता है, मन प्रसन्नता से भर जाता है और सुषुप्त चेतना जागृत होती है। इस अवसर पर मुनि परमानंदजी ने कहा- मानसिक शांति एवं संतुलन के विकास के लिए प्रेक्षाध्यान प्रक्रिया बहुत महत्त्वपूर्ण है। प्रेक्षाध्यान पद्धति आचार्यश्री महाप्रज्ञजी की अनमोल देन है। महाप्राण ध्वनि का प्रयोग सभी के लिए बहुत लाभकारी है। मुनि कुणालकुमारजी ने सुमधुर गीत का संगान किया। कार्यक्रम का शुभारंभ ज्ञानशा‌ला प्रशिक्षिकाओं के मंगलाचरण से हुआ। प्रेक्षा प्रशिक्षकों द्वारा प्रेक्षाध्यान गीत का संगान किया गया। स्वागत भाषण सभा के अध्यक्ष पंकज पारख ने दिया। कोषाध्यक्ष अशोक संचेती ने गीत एवं आभार ज्ञापन मंत्री मनीष रांका ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि परमानंद जी ने किया। कार्यशाला में अरुण नाहटा, मंजू सिपानी, प्रेमलता चोरड़िया ने प्रशिक्षण प्रदान किया।