आचार्य भिक्षु एक महान साहित्यकार थे
राजलदेसर
आचार्य भिक्षु के 219वें चरमोत्सव पर डॉ0 साध्वी परमयशा जी के सान्निध्य में आयोजित कार्यक्रम में साध्वीश्री जी ने कहा कि महान आचार्य भिक्षु आलोक पुंज, तेजपुंज पुरुष थे। आचार्य भिक्षु एक महान साहित्यकार, एक महान भविष्यकार थे। आचार्य भिक्षु के जीवन का हर पहलू अध्यात्म से सराबोर था। इसी अध्यात्म बल के सहारे, विरोधी परिस्थितियों में भी वे अटल रहे।
इस अवसर पर साध्वी धर्मयशा जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु का व्यक्तित्व महा-उद्योतकारी, महाधैर्यशाली था। वे अनाग्रही चेतना के धनी थे, अनुशासन के सजग प्रहरी थे।
कार्यक्रम का मंगलाचरण साध्वी कुमुदप्रभा जी ने अपने स्वरचित गीत के साथ किया। समारोह में महिला मंडल, कन्या मंडल, ज्ञानशाला के ज्ञानार्थी, करण गीड़िया, लीना कुंडलिया, समता गंग ने गीतिका, कविता, शब्द चित्र के माध्यम से आचार्य भिक्षु को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। साध्वी मुक्ताप्रभा जी ने अपनी स्वरचित कविता के माध्यम से अध्यात्म नेता के प्रति अपने भावों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में साध्वी परिवार ने सामुहिक गीत की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन साध्वी विनम्रयशा जी ने किया।
रात्रिकालीन कार्यक्रम में धम्म जागरण का आयोजन किया गया, जिसमें साध्वीवृंद ने गीतिका प्रस्तुत की। तत्पश्चात महिला मंडल, कन्या मंडल, भिक्षु भजन मंडली, अंजलि, ॠषिका बरड़िया, मीनाक्षी बुच्चा, हेमलता घोषल, सविता घोषल, रीना बैद, आरती बैद, रिचा, यशस्वी बच्छावत, करण गीड़िया, कलिका चोपड़ा चैनरूप सहित बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने भजन गाकर महामना भिक्षु के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित किए।