तीन पीढ़ियों का संगम स्थल होता है परिवार

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तीन पीढ़ियों का संगम स्थल होता है परिवार

साध्वी अणिमाश्रीजी के सान्निध्य में तेरापंथ भवन में तेरापंथी सभा के तत्वावधान में परिवार प्रशिक्षण कार्यशाला का कार्यक्रम आयोजित हुआ। पारिवारिक खुशहाली के टिप्स देते हुए साध्वीश्री ने अपने वक्तव्य में कहा- परिवार तीन पीढ़ियों का संगम स्थल है। परिवार बाल, जवान एवं वृद्धों से सुशोभित होता है। केवल ईंट, चूने व पत्थर से घर-परिवार का निर्माण नहीं होता है। यदि मकान इंसानियत की ईंट, चरित्र का चूना, सहयोग की सीमेंट एवं आत्मीयता की आरसीसी से बना है, वह मकान फिर घर बन जाता है। परिवार के हर व्यक्ति का फर्ज होता है कि वह अपनी सोच, स्वभाव, शब्द और व्यवहार से ऐसा आचरण करें जिससे परिवार में प्रेम घुला रहे एवं वह परिवार खुशी का शिवालय बन जाए। घर के बड़े बुजुर्गों की आंखें वैभव देखकर नहीं अपितु परिवार में प्रेम व एकता देखकर खुशी होती है।
साध्वी कर्णिकाश्रीजी ने कहा जैसे बिना पानी के नदी व बिना पैसे के पर्स व्यर्थ है, वैसे ही बिना प्रेम के परिवार व्यर्थ सा ही लगता है। डॉ. साध्वी सुधाप्रभा जी ने कहा जिस प्रकार आकाश में सूरज, चाँद, सितारे सब कुछ होते हैं वैसे ही परिवार के कुछ सदस्य सूर्य की तरह तेजस्वी होते हैं, जो परिवार को तेजस्विता प्रदान करते हैं कुछ सदस्य चांद की तरह शीतलता का संचार करते हैं तो कुछ सदस्य तारों की तरह परिवार को रोशन करते हैं। साध्वी मैत्रीप्रभा जी ने संच संचालन करते हुए कहा घर से बाहर जाओ तो दिमाग लेकर जाना क्योंकि बाहर बाजार है किन्तु घर आओ तो दिमाग के साथ दिल जरूर लेकर आना, तभी परिवार में खुशहाली रहेगी। सभा अध्यक्ष नरेन्द्र पारख ने विचार रखे। मजु रांका एवं रेखा बोथरा ने सुमधुर मंगल संगान किया।