
श्रद्धा अर्ध्य चढ़ाएं
शासन मां की पुण्यतिथि पर श्रद्धा अर्ध्य चढाएं।
तुलसी कलाकृति का गौरव युगों-युगों तक गाएं।।
पल-पल पलकों में नूर आपका वत्सलता का झरना,
अनुशासन के फूलों में भी करुणा की सौरभ भरना।
राह तुम्हारी चाह हमारी, अभिनव ऊर्जा पाए,
तुलसी कलाकृति का गौरव युगों-युगों तक गाएं।।
सदा समर्पण गुरुदृष्टि में विनम्रता की बनी नजीर,
सहज, सरलता और सौम्यता गुरु चरणों में रहती हाजिर।
जिस पर टिके दृष्टि तुम्हारी वह निहाल हो जाए,
तुलसी कलाकृति का गौरव युगों-युगों तक गाएं।।
शिक्षामृत का संदेश देकर ज्ञानामृत का पान कराते,
सृजनशीलता बेजोड़ तुम्हारी नव सृजन के स्वस्तिक रचते।
पौरुष की तव दीपशिखा से ज्योतिर्मय हम बन जाएं,
तुलसी कलाकृति का गौरव युगों-युगों तक गाए।।
तीन आचार्यों की सेवा का अनुपम सौभाग्य लुभाया,
मातृहृदया प्रमुखा पद से संघ में नया रंग खिलाया।
समता साधक, श्रुत आराधक से आराधक पद पाएं,
शासन मां की पुण्यतिथि पर श्रध्दा अर्ध्य चढाएं।।