मंत्र में अचिंत्य शक्ति निहित होती है

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मंत्र में अचिंत्य शक्ति निहित होती है

मुनि जिनेश कुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में, मंत्रों के साथ जप और प्रेक्षाध्यान का अद्भुत प्रयोगात्मक कार्यक्रम 'मंत्रोत्सव-1' श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा टॉलीगंज द्वारा साउथ सिटी इंटरनेशनल स्कूल ऑडिटोरियम में सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुनि जिनेश कुमार जी ने विभिन्न मंत्रों का जप कराते हुए नमस्कार महामंत्र का ध्यान कराया। इस अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा— विशिष्ट अक्षरों की संयोजना का नाम मंत्र है। मंत्र एक कवच, एक प्रतिरोधात्मक शक्ति और एक सशक्त दुर्ग के समान है। मंत्र शब्दात्मक होता है और उसमें अचिंत्य शक्ति निहित होती है, जिसके माध्यम से आत्मिक जागरण संभव है। मंत्र विकल्प से निर्विकल्प तक पहुंचने की प्रक्रिया है और सविचार से निर्विचार तक पहुंचने की पद्धति है।
मुनिश्री ने आगे कहा कि मंत्रों में एक अत्यंत शक्तिसंपन्न विशिष्ट मंत्र है—'नमस्कार महामंत्र'। इसे महामंत्र इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें गुणों की पूजा होती है और इच्छाएं शांत होती हैं। इस महामंत्र के जप और ध्यान से बौद्धिक क्षमता का विकास, दुःख मुक्ति और मानसिक प्रसन्नता प्राप्त होती है। शुभारंभ मुनि कुणाल कुमार जी के मंगलाचरण से हुआ। इस अवसर पर सभा अध्यक्ष अशोक पारख ने स्वागत भाषण दिया और मंत्री राजीव दुगड़ ने आभार व्यक्त किया। संचालन मुनि परमानंद जी ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में सभा, महिला मंडल और तेरापंथ युवक परिषद का महत्वपूर्ण योगदान रहा।