संवर है मोक्ष का प्रमुख कारण : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

धारपुर। 14 मई, 2025

संवर है मोक्ष का प्रमुख कारण : आचार्यश्री महाश्रमण

अभय प्रदाता आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ धारपुर के श्री माधवलाल गंगाराम रामदास पटेल विद्यालय प्रांगण में पधारे। मंगल देशना प्रदान करते हुए पूज्यवर ने फरमाया कि दुःख मुक्त बनने के लिए व्यक्ति को क्या करना चाहिए? शास्त्र में कहा गया है — ''पुरुष! अपने आप का ही निग्रह करो, इस प्रकार दुःख से मुक्त हो जाओगे।'' निग्रह का अर्थ है संवर। नव तत्वों में संवर और निर्जरा दो महत्वपूर्ण तत्व हैं। लेकिन इनमें संवर की साधना अधिक महत्वपूर्ण मानी गई है। निर्जरा तो प्रथम गुणस्थान में या अभव्य जीव के भी हो सकती है, परंतु संवर का होना आगे के मार्ग को प्रशस्त करता है।
निर्जरा हो, इसका यह अर्थ नहीं कि संवर भी हो ही। पर यदि संवर दीर्घकाल तक बना रहे तो कर्म अवश्य झड़ेंगे। यदि संवर हो गया, तो मोक्ष निश्चित है। केवल निर्जरा से यह संभव नहीं। इसलिए संवर ही मोक्ष का प्रमुख कारण है। व्यक्ति जितना त्याग और प्रत्याख्यान आत्महित की भावना से करता है, उतना संवर होता है। त्याग और प्रत्याख्यान करते रहें और उन्हें स्मरण भी रखें। एक-एक नियम व्यक्ति को सुख प्रदान कर सकता है, विपत्ति से बचा सकता है। संवर जैसे नियम गृहस्थ जीवन में जितना अपनाए जाएं, उतना ही कल्याणकारी होता है।
वाणी का संयम भी आवश्यक है, पर उसके पीछे विवेक भी हो। बोलना या न बोलना बड़ी बात नहीं, बल्कि कब, क्या और कैसे बोलना है — यह महत्वपूर्ण है। जीवन में संयम, संवर और निर्जरा जितनी बनी रहे, उतना आत्मकल्याण होता है। जब जिम्मेदारी हो, तो मौन भी समय देखकर रखना चाहिए। हमें निरंतर संवर-निर्जरा की साधना करते रहना चाहिए। भगवान महावीर ने भी केवलज्ञान प्राप्त करने के पश्चात व्यवहार में आवश्यकतानुसार वाणी का उपयोग किया। पूज्यवर ने फरमाया कि आज हम धारपुर आए हैं। यहां अच्छे कार्य होते रहें। बच्चों में उत्तम संस्कार विकसित होते रहें। पूज्यवर के स्वागत में विद्यालय के प्रिंसिपल रमेशभाई पटेल ने अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेशकुमार जी ने किया।