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जल संरक्षण कार्यशाला का आयोजन
अभातेममं के तत्वावधान में 'शासनश्री' साध्वी जिनरेखा जी के सान्निध्य में तेरापंथ महिला मंडल जसोल द्वारा जल संरक्षण माह के तहत् एक बूंद : एक सागर - जल संरक्षण कार्यशाला का आयोजन तीन चरण में किया गया। साध्वीश्री द्वारा नमस्कार महामंत्र के उच्चारण से कार्यशाला का शुभारम्भ किया गया। प्रेरणा गीत से मंगलाचरण मंडल की बहनों ने किया। अध्यक्ष कंचन देवी ने सबका स्वागत करते हुए कार्यक्रम की जानकारी दी। 'शासनश्री' साध्वी जिनरेखाजी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भगवान महावीर ने जल की एक बूंद में असंख्य जीव बताए हैं। इसलिए पुराने समय में पानी तोल के माप से काम में लिया जाता था। आज भी हमारे कई श्रावक-श्राविकाएं पांच तिथियों में नहाने का त्याग रखते हैं, पानी के उपयोग में माप का ध्यान रखते हैं, ताकि पानी का अपव्यय भी ना हो और असंख्य जीवों की हानि में एक सीमा हो। साध्वी मार्दवप्रभाजी ने बताया कि पच्चीस बोल में तीसरा बोल है - काय छ: जिसमें अपकाय का उल्लेख आता है। साध्वी मृदुयशाजी ने कहा कि जल है तो जीवन है। चार आहार में जल भी आता है।
तीनों आहार के बिना जीव कई दिनों तक जीवित रह सकता हैं। लेकिन पानी के बिना जीवन लंबा नहीं चल सकता है। मंत्री अरुणा डोसी ने बताया कि उपासिका मोहनी देवी संकलेचा, जसोदा संकलेचा ने जल संरक्षण के बारे में जानकारी देते हुए जल संचय के बारे में बताया। इस अवसर पर पुष्पादेवी बुरड़, चंदादेवी चौपड़ा, फेनादेवी भंसाली, मंजूदेवी भंसाली ने रसोई से लेकर हर काम में कैसे पानी उपयोग करें तथा अपव्यय रोकने की जानकारी सबके साथ साझा की। साध्वीश्री से प्रेरित होकर कई बहनों ने शॉवर के प्रयोग का त्याग, नहाने में एक बाल्टी से ज्यादा पानी उपयोग में लेने का त्याग, दिन में एक बार से ज्यादा नहाने, बिना प्रयोजन नल खुला छोड़ने जैसे अनेक संकल्प लिए। आभार ज्ञापन उपाध्यक्ष जयश्री सालेचा ने किया। कार्यक्रम का सफल संचालन ममता मेहता ने किया।
कार्यक्रम का दूसरे चरण में 'भविष्य में पानी या हमारा भविष्य पानी-पानी' निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। आठ बहनों ने निबंध प्रतियोगिता में भाग लिया। प्रथम स्थान पर पूर्व मंत्री ममता मेहता रही। निर्णायक की भूमिका आदर्श विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य राजेंद्र पाल ने निभाई। कार्यक्रम के तीसरे चरण में जन जागरण अभियान हर बूंद अनमोल के तहत् सार्वजनिक स्थानों पर पोस्टर लगाए गए।