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आदिनाथ का स्थान पाने वाले एक ही थे
साध्वी गुप्तिप्रभाजी के सान्निध्य में अक्षय तृतीया का कार्यक्रम मनाया गया। इस अवसर पर साध्वी गुप्तिप्रभाजी के 20वें, निर्मला देवी बोथरा के चौथे, अमरचन्द बोथरा के 10वें वर्षीतप की सभी ने अनुमोदना की। भगवान ऋषभ के तप की व्याख्या करते हुए साध्वीश्री ने कहा, “भगवान ऋषभ का जीवन एक ऐसी मशाल था जिसने समस्त जग को आलोकित किया। उनका जीवन अध्यात्म दर्शन की वर्णमाला ही नहीं, अपितु सामाजिक जीवन के लिए क्रांति की चिन्गारी थी। उन्होनें निर्विकल्प समाधि के लिए अनगिन कष्ट सहे व अविचल रहे। नाथ दुनिया में कई हो सकते है किंतु आदिनाथ का स्थान पाने वाले वे एक थे - भगवान ऋषभ।” साध्वी कुसुमलताजी ने भगवान ऋषभ व वर्षीतप में रत तपस्वियों के बारे में अभिव्यक्ति दी एवं गीत का सुमधुर संगान किया। बोरावड़ सभा अध्याक्ष नेमीचंद गेलड़ा, बोथरा परिवार के सदस्यों, जैन विद्या आंचलिक प्रभारी मंजुलता भंडारी, रिखबचन्द भण्डारी ने अपनी अभिव्यक्ति दी। डीडवाना से सभा मंत्री पवन खटेड़, महिला मंडल अध्यक्षा विजयलक्ष्मी सेठिया, विनय चोपड़ा, बैंगलोर से समागत महेन्द्र सुराणा ने विविध रूपों में अपनी-अपनी अभिव्यक्ति दी। कुलदीप मणोत ने अपनी सुमधुर स्वर लहरी से भवन को गुंजायमान कर दिया। महिला मंडल की बहनों ने कार्यक्रम का मंगलाचरण किया। सभा अध्यक्ष सुरेश चौपड़ा ने स्वागत भाषण एवं आभार व्यक्त किया। अभिनंदन पत्र का वाचन कर सभा एवं महिला मंडल ने निर्मला बोथरा का सम्मान व अभिनंदन किया। ज्ञानशला, कन्या मंडल एवं किशोर मंडल ने रोचक संवाद की प्रस्तुति दी। बोरावड़ से अच्छी संख्या में उपस्थिति रही। साध्वी मौलिकयशा जी एवं साध्वी भावितयशा जी ने कार्यक्रम का नई विधा से कुशल संचालन किया।