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अक्षय-तृतीया एवं वर्षीतप अनुमोदना कार्यक्रम
साध्वी अणिमाश्रीजी के सान्निध्य में महावीर भवन में अक्षय तृतीया एवं वर्षीतप अनुमोदना का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर लीला देवी छाजेड़ के 24वें, धर्मदेवी छाजेड़ के 19वें तथा सुशीला बाई के 5वें वर्षीतप का अभिनंदन किया गया। साध्वी अणिमाश्री जी ने अपने उद्बोधन में कहा-- “राजा ऋषभ ने एक नवीन युग का प्रारंभ किया। कर्तव्य-बोध को समझते हुए उन्होंने अनेक व्यवस्थाओं की स्थापना की और लोगों को असि, मसि, कृषि का प्रशिक्षण प्रदान किया। कर्मयुग की स्थापना के पश्चात उन्होंने धर्मयुग का प्रवर्तन किया। लगभग एक वर्ष तक निराहार तप करने के पश्चात, आज ही के दिन उनके प्रपौत्र श्रेयांस के हाथों उनके तप का पारणा हुआ। इसी कारण अक्षय तृतीया का सम्बन्ध भगवान ऋषभदेव से जुड़ गया है। आज भी हजारों श्रावक-श्राविकाएं एवं सैकड़ों साधु-साध्वियां वर्षीतप करके भगवान ऋषभ की अभ्यर्थना करते हैं। समदड़ी में लीला बाई, धर्मीबाई एवं सुशीला बाई ने भी वर्षीतप कर आत्मोत्थान की ओर कदम बढ़ाए हैं। ये कदम तप के पथ पर निरंतर अग्रसर रहें, यही शुभकामना है। डॉ. साध्वी सुधाप्रभा जी एवं साध्वी मैत्रीप्रभा जी ने तपस्विनी बहनों की अनुमोदना करते हुए भगवान ऋषभदेव एवं अक्षय तृतीया के संदर्भ में अपने भाव प्रकट किए। साध्वी समत्वयशा जी ने सुमधुर गीत का संगान किया। सभा मंत्री जितेन्द्र जीरावला, वरिष्ठ श्रावक मूलचंद जीरावला, उन्नति छाजेड़, रेशमा जैन एवं राजुल जीरावला ने अपने विचार प्रस्तुत किए। समदड़ी महिला मंडल एवं छाजेड़ परिवार की बहनों ने भक्ति गीत प्रस्तुत किए। साध्वी वृंद द्वारा भावपूर्ण गीत की प्रस्तुति दी गई। साध्वी कर्णिकाश्री जी ने मंच का कुशल संचालन किया।