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लोक संस्कृति के आदि पुरोधा थे भगवान ऋषभ
साध्वी संघप्रभा जी के सान्निध्य में अक्षय तृतीया कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का मंगलाचरण साध्वी प्रांशुप्रभा जी ने 'ऋषभाय नमः' के सुमधुर संगान से किया। साध्वी संघप्रभा जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि भगवान ऋषभ ने लोक संस्कृति के प्रथम अभिभावक के रूप में जहाँ असि, मास, कृषि का अवदान देकर लोक जीवन के निर्वाह की प्रक्रिया बताई, वहीं अध्यात्म धर्म के प्रथम संस्थापक के रूप में ऋषि संस्कृति का प्रवर्तन कर उन्होंने आत्म कल्याण व मोक्ष मार्ग को प्रशस्त किया।
बजरंग भंसाली, जया भंसाली आदि वक्ताओं ने अक्षय तृतीया के महत्व को मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया। इसी क्रम में तेरापंथ महिला मंडल द्वारा ‘जपने वाला पाएगा शिव धाम’ गीतिका का संगान किया। साध्वी सोमश्रीजी ने अक्षय तृतीया के इतिहास को घटना के माध्यम से रोचक तरीके से प्रस्तुत करते हुए गीतिका के द्वारा अपने भाव प्रकट किए। कार्यक्रम का कुशल संचालन साध्वी प्रांशुप्रभा जी ने किया। ज्ञानशाला के बच्चों एवं कन्या मंडल को श्रावक-श्राविकाओं द्वारा प्रोत्साहित किया गया। कार्यक्रम में श्रावक श्राविकाओं की सराहनीय उपस्थिति रही।