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अक्षय तृतीया कार्यक्रम का हुआ आयोजन
सेठिया अतिथि भवन में 'शासनश्री' साध्वी विद्यावती जी के सान्निध्य में अक्षय तृतीया का कार्यक्रम बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। राजगढ़ निवासी वर्षीतप साधिका रतनी बाई ने उन्नीसवें वर्षीतप का पारणा किया और बीसवें वर्षीतप का दृढ़ आत्मबल के साथ संकल्प स्वीकार किया। 'शासनश्री' साध्वी विद्यावती जी ने जनता को सम्बोधित करते हुए कहा कि, "भगवान ऋषभ इस युग के प्रथम तीर्थकर, प्रथम राजा व प्रथम साधक थे। प्रथम साधक होने के कारण लोग दान देना नहीं जानते थे। इसी कारण प्रभो को बारह मास तक भिक्षा नहीं मिली। अन्तराय कर्म दूर होने पर प्रपोत्र श्रेयांस जागा और प्रभो को आज के दिन इक्षु रस से पारणा करवाया। तभी से अक्षय तृतीया मनाई जा रही है। आज भी हजारों भाई-बहन वर्षीतप करते हैं। हमारे यहाँ रतनी देवी हैं, इनकी यह विशेषता है कि इनकी सारी तपस्याएं चौविहार होती है। यह तप को अपना सुरक्षा कवच व ढाल मानती हैं।“ इस अवसर पर साध्वी दिव्यप्रभा जी, साध्वी सूर्ययशाजी व साध्वी प्रशस्तप्रभा जी ने भी भगवान ऋषभ के बारे में अपने भावों की अभिव्यक्ति की। सादुलपुर महिला मण्डल, कन्या मण्डल, सभाध्यक्ष अमरचन्द जैन, अभिषेक जैन, सुशील जैन ने गीत व वक्तव्य के माध्यम से आज के दिन की महत्ता पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वी वृन्द के मंगल गीत के साथ हुआ। तेरापंथ सभा सादुलपुर द्वारा तपस्विनी बहन को अभिनंदन पत्र भेंट किया गया। कार्यक्रम का कुशल संचालन शर्मिला बोथरा ने किया।