
रचनाएं
गण उपवन महकाया
गण उपवन महकाया।
संचितयशाजी संथारा कर जीवन धन्य बनाया।।
हिम्मत तुमने की है भारी, तोड़ा तन का बन्धन,
चढ़ते परिणामों में अनशन महक रहा मन उपवन।
भैक्षव गण की महिमा फैली, जीवन उपहार बनाया।।
गुरुवर तुलसी महाप्रज्ञ महाश्रमण कृपा बरसाई,
सेवाभाव तुम्हारा अनुपम ऋतुमन था वरदायी।
संयत मधुरिम वाणी से हर दिल में स्थान बनाया।।
साध्वी सोमलताजी से तुमने पाई वत्सलता,
शकुंतलाश्रीजी से भी हरदम रहती मन समता।
जागृत रक्षित साध्वी जी का सेवाभाव सुहाया।।
गोयल परिवार की सेवाभक्ति सबके मन को भाई,
गण में नाम कमाया हरदम गुरुवर कृपा सवाई।
विले पारला का श्रावक गण सेवा कर हरसाया।।
लय - संयममय जीवन