जीवन को संवारा है

रचनाएं

समणी कमलप्रज्ञा

जीवन को संवारा है

साध्वीश्री संचितयशा जीवन को संवारा है।
मुम्बई महानगरी में अनशन स्वीकारा है।।
गुरुदृष्टि सृष्टि है हर पल हर सांस बहे,
साध्वीश्री सोमलता सद्ज्ञान आचार बहे।
संयम जीवन उज्ज्वल निर्मल अवधारा है।।
मीठी वाणी मीठा व्यवहार तेरा,
कर्तव्य वहन अव्वल नंबर है तेरा।
ठिकाने की कर्ता-धर्ता निहारा है।।
चिण्डालिया कुल उजला किरण कुक्षी उजली,
पिता डालचंद आंगन लाड प्यार से पली।
सरदारशहर सतिवर झिलमिलाता सितारा है।।
गुरु तुलसी हाथों से संयम धन को पाया,
गुरु महाप्रज्ञ प्रज्ञा श्रुतज्ञान को विकसाया,
गुरु महाश्रमण प्रज्ञा श्रुतज्ञान को विकसाया।
साध्वी शकुंतला, जागृत, रक्षित ने गाया है।।
लय - ऐ मेरे दिल नादान