
रचनाएं
स्मृति पट पर अंकित है स्मृतियां
गुण परिमल चिहुँ दिशि फैलाकर,
सतिवर ने शुभ प्रस्थान किया।
बांटा सबको ही अपनापन,
स्मृति पट पर अंकित है स्मृतियां।।
थी कला साधना हाथों में,
गीतों की सरगम सांसों में।
तुमने सहज सरल जीवन जीया।।
श्रम निष्ठा नस-नस से झरती,
जो था संभव वह सब करती
सूत्र निज्जरट्ठिए धार लिया।।
तेरे प्रमोद भाव को अपनाएं,
हम मुक्त कंठ से गुण गाएं।
जी भरकर उपशम रस पीया।।
मंजुयशा जी सौभागी,
गुरु दृष्टि पा सेवा साझी।
गुरु महाश्रमण करुणा दरिया।।
लय - हमने जग की अजब तस्वीर