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शाश्वत सुखों की ओर प्रस्थान करने का सोपान है संयम
आचार्यश्री महाश्रमणजी की विदुषी सुशिष्या साध्वी गुप्तिप्रभा जी के सान्निध्य में आचार्यश्री महाश्रमणजी का 52वां दीक्षा दिवस व साध्वीप्रमुखाश्री जी का चतुर्थ चयन दिवस मनाया गया। साध्वीश्री ने कहा, "बालक मोहन ने आचार्यश्री कालूगणी की माला फेरकर साधु बनने का संकल्प किया। संयम, चित्त को विराट से जोड़ने का नाम है। संयम, शाश्वत सुखों की ओर प्रस्थान करने का मूल सोपान है।" साध्वीश्री ने साध्वीप्रमुखाश्रीजी की अभ्यर्थना में भी अपने भाव रखे।
साध्वी कुसुमलताजी ने कहा कि आचार्य तुलसी ने मुनि मुदित को एक आदर्श मुनि कहा था तथा उस महान पुरुष के आदर्श जीवन की व्याख्या की। साध्वी मौलिकयशा जी ने आचार्यप्रवर को महानायक कहते हुए कहा— आज एआई का प्रभाव है, परंतु एआई से तो फिर भी भूल हो जाती है। अतः मैं आपश्री को (ओआई) ओरिजिनल इंटेलिजेंस के रूप में देखती हूं।" साध्वी भावितयशा जी ने कहा कि आचार्य श्री बचपन से ही अनुशासनप्रिय हैं व आपका टाइम मैनेजमेंट भी अभूतपूर्व है।
महिला मंडल अध्यक्षा विजयलक्ष्मी सेठिया, खुशी सेठिया, ऋद्धि सेठिया, चार्वी खटेड़, प्रदीप मणोत आदि ने विविध रूपों में अभिव्यक्ति दी। पूजा सेठिया, खुशबू सेठिया, रचना खटेड़ ने गीत का संगान किया। कार्यक्रम का प्रारंभ मंगलाचरण से साध्वी भावितयशा जी ने किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन हर्षिता संचेती ने किया।