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श्रद्धापूर्वक मनाया साध्वीप्रमुखाश्री का चयन दिवस
बोथरा भवन में उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमल कुमार जी के सान्निध्य में वर्तमान साध्वीप्रमुखा श्री विश्रुतविभा जी का चयन दिवस श्रद्धापूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर मुनि कमल कुमार जी ने कहा, “तेरापंथ धर्मसंघ की स्थापना विक्रम संवत 1817 में हुई थी और प्रथम साध्वी दीक्षा विक्रम संवत 1821 में दी गई थी। एक समय था जब लोग कहते थे कि तेरापंथ का लड्डू खांडा है, क्योंकि उस समय तेरापंथ में साध्वियां नहीं थीं। आचार्य भिक्षु ने कठोर परीक्षा के बाद तीन बहनों को दीक्षा दी, और उसके पश्चात साध्वी संख्या निरंतर बढ़ती गई।”
मुनि श्री ने आगे कहा, “लाडनूं की धरती विशेष महत्त्व की रही है। आचार्य तुलसी भी लाडनूं से थे और तेरापंथ धर्मसंघ की तीन साध्वी प्रमुखाएं भी लाडनूं से हैं – साध्वीप्रमुखा लाडांजी, साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा जी, और वर्तमान साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभा जी। साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभा जी कई भाषाओं में दक्ष हैं तथा संघीय कार्यों में गुरुदेव की सहयोगी के रूप में कार्यरत हैं। वे अत्यंत विनम्र एवं प्रभावशाली वक्ता हैं। आगम संपादन तथा आचार्य महाप्रज्ञ की पुस्तकों के संपादन में भी उनका योगदान प्रशंसनीय है।” इस अवसर पर मुनि श्रेयांस कुमार जी ने मुनि कमल कुमार जी द्वारा रचित छंदों का वाचन कर वातावरण को आध्यात्मिकता से ओतप्रोत किया। कार्यक्रम में कनक गोलछा, तेरापंथी सभा गंगाशहर से मंजु आंचलिया, तेयुप से ललित राखेचा, अणुव्रत समिति से अनिल बैद, शांति प्रतिष्ठान से किशन बैद, तथा महिला मंडल से बिंदु छाजेड़ ने अपनी भावनाएं व्यक्त कीं।