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वह माँ धन्य है जिसकी संतान परमार्थ पथ पर चलती है
राजसमंद। पडासली तेरापंथ भवन में आचार्य श्री महाश्रमण का जन्म दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। मुनि प्रसन्न कुमार जी ने आचार्य श्री महाश्रमण जी के 64वें जन्म दिवस पर जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा, “वह माँ धन्य है जिसकी एक भी संतान परमार्थ के मार्ग पर चली जाती है। सरदारशहर के ओसवाल कुल के दुगड़ परिवार में छठे भाई के रूप में मोहन का जन्म हुआ। माता नेमादेवी ने बचपन से मोहन को आध्यात्मिक लोरी सुनाई जिसके प्रभाव से केवल 12 वर्ष की उम्र में मोहन संन्यास के मार्ग पर चल पड़ा।“
मुनिश्री ने आगे कहा, “आचार्य श्री तुलसी की आज्ञा से मुनि सुमेरमल जी (लाडनूं) ने इन्हें दीक्षा प्रदानकी और मोहन को मुनि मुदित कुमार बना दिया। आगे चलकर आचार्य तुलसी और आचार्य महाप्रज्ञ ने इस धर्मसंघ की बागडोर इनके कन्धों पर डालकर निश्चिन्त हो गए। दीक्षा के समय दी गयी माँ की हित शिक्षा ने मुनि मुदित को महाश्रमण बना दिया।“ मुनि प्रकाश कुमार जी ने आचार्य श्री महाश्रमण जी के मौलिक गुणों का वर्णन करते हुए कहा- ‘आचार्य महाश्रमण ने विनय, विवेक, विद्या, सहिष्णुता, अप्रमत्तता और जागरूकता का जीवन में सदा ही विकास किया है। मुनि धैर्य कुमार जी एवं मुनि गुणसागर जी ने भी अपने विचार व्यक्त किये।