
रचनाएं
बरस रहा अमृत वर्षण
अध्यात्म सूर्य की महाज्योति को वंदन करता सारा जहान।
तेजस्वी आभामंडल से बरस रहा नित अमृत वर्षण।।
पालनपुरा की धरा पर बरस रही अमृतमय रसधारा,
पुण्यवान के पग-पग निधान गाता यह संघ सारा।
उजली चादर का मिला हमें अनुपमेय उपहार,
रिद्धि-सिद्धि सारी देवियां मिलकर करती श्रद्धासिक्त वंदन।।
पंचम आरे में अजब पुण्याई से मिले महाश्रमण सरताज,
करुणासागर योगीराज को पा हर्षित सकल समाज।
क्रोड दिवाली राज करो जनता जनार्दन की आवाज,
अलौकिक दुनिया में ले जाने वाले महाश्रमण भगवान।।
संयम महासुमेरू तेरे एक इशारे पर लाखों भक्त तैयार,
दोनों हाथों से दे आशीर्वर करता जन-जन का उद्धार।
ज्योतिचरण की शरण शुभंकर अर्पित मम जीवन उपहार,
महाश्रमण दरबार में बदल जाता मानव का जीवन दर्शन।।