
संस्थाएं
गुरु शिक्षा में रम जाना, गुरु भेजे वहां जम जाना
आचार्य श्री महाश्रमण जी के कर कमलों से अहमदाबाद में 3 सितंबर 2025 को होने वाले दीक्षा समारोह में गंगाशहर की मुमुक्षु बहन कीर्ति बुच्चा की दीक्षा होने जा रही है। इस उपलक्ष्य में भव्य शोभायात्रा एवं मंगल भावना समारोह का आयोजन किया गया। बोथरा भवन में आयोजित मंगलभावना समारोह में उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमारजी ने कहा कि दीक्षार्थी बहन को अध्ययन और साधना के द्वारा गुरु के हृदय में स्थान बनाना है। अतीत में भी त्याग का स्वागत होता था, वर्तमान में भी होता है और भविष्य में भी होगा। भौतिक संसार को त्यागना सबसे बड़ा त्याग है। जन्म और जीवन तभी अच्छा होगा जब हम त्याग, तपस्या और वैराग्य के मार्ग पर आगे बढ़ेंगे। बहन को प्रेरणा देते हुए कहा मुनिश्री ने कहा– संयम में रम जाना, जहां गुरु भेजें वहां जाना और जम जाना। विनम्रता सबसे बड़ा गुण है। जो नमता है वही आगे बढ़ता है। विनयशील व्यक्ति का सब जगह मान सम्मान और गुणगान होता है। गुरु दृष्टि की आराधना करना ही मुख्य लक्ष्य रखना है। मुनिश्री ने स्व रचित दोहों से शिक्षा प्रदान की। मुनि श्रेयांस कुमार जी ने कहा कि बहन कीर्ति को उत्तरोत्तर साधना करती हुई धर्म संघ की प्रभावना को बढ़ाना है, गंगाशहर का गौरव बढ़ाना है।
इस अवसर पर दीक्षार्थिनी के पिता लालचंद बुच्चा ने भी अपने विचार रखते हुए कहा की कीर्ति का संकल्प भी इस्पात जैसा मजबूत रहा। हमने गृहस्थ जीवन में रखने की भरसक कोशिश की मगर इसके फौलादी संकल्प के सामने हमें ही झुकना पड़ा। मुमुक्षु बहन कीर्ति ने अपने विचार रखते हुए बताया कि इस भौतिक संसार को छोड़ने से ही आत्मा का भ्रमण कर सकते हैं, मोक्ष के मार्ग पर आगे बढ सकते हैं। कीर्ति ने कहा कि वह पढ़ाई के लिए लन्दन जाना चाहती थी परन्तु पहुंच गयी लाडनूं, जहां पारमार्थिक शिक्षण संस्था में दाखिला ले लिया। यह मेरे पुण्य कर्मों का सुफल था। कार्यक्रम में बुच्चा परिवार की बहनों ने गीतिका का संगान किया। शकुन्तला देवी व राजरानी महनोत ने गीतिका का संगान किया। परिवार से संदीप मरोटी ने भी विचार व्यक्त किये। तेरापंथ महिला मंडल की बहिनों ने गीतिका के माध्यम से मुमुक्षु का अभिनंदन किया। तेयुप से ललित राखेचा, अणुव्रत समिति से मनोज छाजेड़, तेरापंथी सभा से हनुमानमल सेठिया ने दीक्षार्थी बहिन के प्रति शुभकामनाएं एवं मंगलभावना व्यक्त की। सभा के उपाध्यक्ष पवन छाजेड़ ने अभिनन्दन पत्र का वाचन किया।