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शांति, शक्ति और भक्ति का मणिकांचन योग है आचार्य श्री महाश्रमण
बीकानेर। 'शासनश्री' साध्वी मंजूप्रभा जी एवं 'शासनश्री' साध्वी कुंथुश्री जी के सान्निध्य में आचार्य श्री महाश्रमण जी का जन्मोत्सव, दीक्षोत्सव एवं पट्टोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत महिला मंडल द्वारा सुमधुर मंगलाचरण से की गई। 'शासनश्री' साध्वी कुंथुश्री जी ने अपने उद्बोधन में कहा, “आचार्यप्रवर का जीवन शांतिधर, शक्तिधर और भक्तिधर का मणिकांचन योग है। कषाय मंदीकरण उनके शांतिधर स्वरूप का प्रतीक है। शक्तिधरता में आगम निष्ठा और मौन की ऊर्जा का सूत्र सदैव दृष्टिगोचर होता है। भक्तिधरता में गुरु आज्ञा और संघ के प्रति भक्ति हर क्षण उनके चिंतन में प्रकट होती है। ऐसे महान आचार्य की वाणी जनसमुदाय के लिए अमृतसुधा पान करवाने वाली है।” अभ्यर्थना के स्वर में साध्वी संकल्पप्रभा जी ने मधुर गीत की प्रस्तुति दी तथा साध्वीवृंद ने सामूहिक गीत का संगान किया। सुंदरलाल झाबक ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का कुशल संयोजन साध्वी सुमंगलाश्री जी द्वारा किया गया।