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अप्रमत्तचर्या व मृदु अनुशासन से हर कोई होता है प्रभावित
आचार्य श्री महाश्रमण जी का 64वां जन्म दिवस बोथरा भवन में उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमार जी के सान्निध्य में मनाया गया। इस अवसर पर मुनिश्री ने कहा कि आचार्य महाश्रमण जी पर आचार्य तुलसी और आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी की असीम कृपा थी। आचार्य श्री महाश्रमण जी की समिति-गुप्तियों की जागरूकता, अप्रमत्तचर्या व मृदु अनुशासन से केवल तेरापंथी साधु-साध्वियां ही नहीं, जैन-अजैन सभी प्रभावित हैं।
मुनिश्री ने आगे कहा कि आचार्यश्री का त्रिसूत्री अभियान - सद्भावना, नैतिकता, नशामुक्ति हर इन्सान को इन्सान ही नहीं महान बनाने वाला है। इन तीन बिन्दुओं को अपनाने वाला बिन्दु भी सिन्धु बन सकता है। तेरापंथ धर्म संघ में आप प्रथम आचार्य है जिन्होंने देश-विदेश की पैदल यात्रायें की। एक साथ 43 योग्य भाई बहनों को दीक्षा दी। इस प्रकार आचार्य महाश्रमण जी की अनेक विशेषताओं का वर्णन करते हुए आचार्य श्री के स्वस्थ जीवन और दीर्घकालीन नेतृत्व की कामना की। मुनि श्रेयांश कुमार जी ने आचार्य श्री महाश्रमण जी के जन्मोत्सव एवं पट्टोत्सव के अवसर पर मुक्तक के माध्यम से अपनी भावांजलि अभिव्यक्त की।
इस अवसर पर मुनि नमि कुमार जी ने कहा कि आचार्य श्री महाश्रमण जी ने मुझे संयम मार्ग प्रदान किया जिससे आज मैं त्याग-तपस्या के माध्यम से मोक्ष मार्ग की ओर आगे बढ़ रहा हूं। मुनि मुकेश कुमार जी ने गीत के माध्यम से पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी के चरणों में अपनी श्रद्धा भक्ति अभिव्यक्त की। अहमदाबाद से समागत डॉ. धीरज मरोटी ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में तेरापंथ सभा के पूर्व अध्यक्ष अमरचंद सोनी, मंत्री जतनलाल संचेती, तेरापंथ न्यास से बिमल चोपड़ा, महिला मंडल अध्यक्ष संजू लालाणी, अणुव्रत समिति से मनोज छाजेड़, आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान से मनीष बाफना, तेरापंथ युवक परिषद से देवेंद्र डागा आदि वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किये एवं गीत, कविता, मुक्तक के माध्यम से अपनी श्रद्धा समर्पित की।