साधना आराधना से शिव सुख अविचल पाया
भिक्षु गण के नीलगगन में, इन्द्रधनुष लहराया।
श्री डूंगरगढ़ की लाडली से तेरापंथ हरसाया।।
देव गुरू धर्म श्रद्धा से, जीवन धन्य बनाया।
भिक्षु शासन के गौरव को, शिखरों सदा चढ़ाया।
आगम बत्तीसी वाचन से, नव इतिहास रचाया।।
जिनकी प्रवचन पटुता से यह, नंदनवन मुसकाया।
प्रियभाषी मृदुभाषी का, आकर्षण सदा सुहाया।
साधना आराधना से, शिव सुख अविचल पाया।।
सेवा निष्ठा गण की सौरभ से, कण-2 बन गया पावन।
गुरू निष्ठा गण निष्ठा से, महकाया जीवन गुलशन।
संस्कारों से व्यवहारों से, भारी सुयश कमाया।।
शासन मंदिर शासन पूजा, जिनशासन मन की धड़कान।
शासन की पूजा वेदी पर, तन मन प्राण किए अर्पण।
अद्भूत अभिनव मनस्विनी ने, सूरज नया उगाया।।
प्राणकोष में नवपद पावन, सफलता की कुंजी।
ध्यानयोग से साम्ययोग से पायी अद्भूत महापुंजी।
आत्मबल से मनोबल से, सुयश शंख बजाया।।
लय - जनम जनम