सम्मान व्रत चेतना का एवं बारहव्रत स्वीकरण कार्यशाला का आयोजन

संस्थाएं

सम्मान व्रत चेतना का एवं बारहव्रत स्वीकरण कार्यशाला का आयोजन

साध्वी उदितयशाजी आदि ठाणा 4 के सान्निध्य में अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् द्वारा निर्देशित एवं तेरापंथ युवक परिषद् राजाजीनगर द्वारा आयोजित सम्मान व्रत चेतना का एवं बारह व्रत दीक्षा कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का आगाज साध्वी शिक्षाप्रभाजी ने आचार्य श्री तुलसी द्वारा रचित ‘श्रावक व्रत धारो’ गीतिका की प्रस्तुति से किया। साध्वी उदितयशाजी ने उद्बोधन प्रदान करते हुए कहा कि श्रावक के जीवन मे सूर्योदय तो रोज़ होता हे लेकिन अब हमें व्रत के सूर्य का उदय करना है, जिससे हम तीनों लोक के स्वामी अर्थात 'अकिंचन' बन सकें। व्रत अर्थात सीमा या त्याग के आवरण में अपने आपको घेरना। अव्रत हर समस्या का जागरण है। सब कुछ पाने की लालसा होती है। व्यक्ति परिग्रह से बंधे होने के कारण व्रत धारण नहीं कर पाता।
व्रत धारण करना अपनी आत्मा की सुरक्षा का आवरण बनाना होता हैं, श्रावक व्रत की आराधना करने से हम अपना स्थान वैमानिक देव लोक में जमा सकते है। तेयुप अध्यक्ष कमलेश चोरड़िया ने सभी का स्वागत करते हुए बारह व्रत दीक्षा स्वीकार करने का आह्वान किया एवं अभातेयुप द्वारा निर्देशित सम्मान व्रत चेतना का उपक्रम में अब तक जिन्होंने भी बारह व्रत स्वीकार किया हुआ उन सबका साध्वीश्री के सानिध्य में जैन पट्ट एवं सम्मान पत्र से सम्मान किया। राजाजीनगर क्षेत्र में 21 बारहव्रती श्रावक-श्राविकाओं का सम्मान किया गया। मंच संचालन तेयुप मंत्री जयंतीलाल गाँधी ने किया।