भगवान महावीर की दो धाराओं का आध्यात्मिक मिलन
युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनि डॉ. अभिजीत कुमार जी एवं मुनि जागृत कुमार जी का गुणायतन के प्रेरणास्रोत आचार्य श्री विद्यासागर जी के सुशिष्य मुनि 108 प्रमाण सागर जी महाराज के साथ आध्यात्मिक मिलन साउथ तुकोगंज स्थित चिन्मय संत निवास पर समाज जनों की उपस्थिति में हुआ। इस अवसर पर मुनि प्रमाण सागर जी ने कहा कि जैन धर्म को प्रज्वलित रखना है। अतः जैन धर्म को अपनी परिधि का विस्तार करना होगा। इसके लिए सभी जैन पंथों को यह सूत्र आत्मसात करना होगा। सबको अपनाएं, सबको अपना बनाएं तो ही हम जैन धर्म के अस्तित्व की सुरक्षा कर पाएंगे। आपने आगे कहा कि सन् 2013 में मेरा कलकत्ता चतुर्मास था एवं तेरापंथ धर्मसंघ की साध्वी अणिमाश्री जी का भी चतुर्मास कलकत्ता में था। उस समय मेरे प्रवचन के पश्चात एक अजैन व्यक्ति बैठा रहा। बातचीत के दौरान उसने बताया कि मैंने साध्वी अणिमाश्री जी से अणुव्रत के माध्यम से जैन धर्म को समझा है एवं मैं जैन धर्म का पालन करता हूं। मैं मांसाहारी था लेकिन अब मैं शाकाहारी हूं। मुनि प्रमाण सागर जी ने कहा कि अणुव्रत मानवता की बहुत बड़ी सेवा कर रहा है। मुनि डॉ.अभिजीत कुमार जी ने तेरापंथ धर्मसंघ से संबंधित मौलिक नियमों की चर्चा करते हुए कहा कि आचार्य श्री महाश्रमणजी का सद्भावना के प्रति रूझान रहा है। आचार्यश्री तुलसी, आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी एवं आचार्य श्री विद्यानंद जी, आचार्य श्री विद्यासागर जी ने सद्भावना के लिए बहुत काम करते हुए मानव जाति की बहुत बड़ी सेवा की है। आचार्य श्री महाश्रमणजी अहिंसा, सद्भावना, नैतिकता, नशामुक्ति के अभियान के माध्यम से लगभग 58 हजार किलोमीटर की पैदल यात्रा कर चुके हैं। श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष निर्मल नाहटा एंव सभा के मंत्री राकेश भंडारी, महिला मंडल की मंत्री मोना बम्बोरी, तेयुप अध्यक्ष अर्पित जैन, TPF अध्यक्ष चंद्रप्रकाश भटेरा, अणुव्रत समिति अध्यक्ष मनीष कठोतिया एंव समाज के गणमान्य भाई-बहनों की उपस्थिति में मुनि प्रमाण सागरजी को साहित्य भेंट किया गया। दिगम्बर जैन समाज के वरिष्ठ श्रावकों द्वारा मुनि प्रमाणसागर जी द्वारा रचित साहित्य मुनिवृंद को प्रदान किया गया।