अनशन री महिमा छाई
साध्वी अणिमाश्री
शासनश्री जी! सतिवर थांनै, सौ-सौ बार बधाई।
अनशन री महिमा छाई॥
जबरो काम कर्यो थे सतिवर, बाजी यश-शहनाई।
ऐ, मंगल-घड़ियाँ आई॥
धन्य बण्यो चौरड़िया, परिकर, सुता पाँच बहराई।
दोन्यू बहनां जय-रतन ने गण में पहचान बणाई।
जयप्रभाजी सतिवर! थे तो हद हिम्मत दिखलाई॥
बड़भगिनी पचखायो अनशन, धन्य बण्यो है जीवन।
चढ़तै भावां संथारो ले पायो थे संजीवन।
घणो दीपतो ओ संथारो, अद्भुत ख्यात बणाई॥
गिरिगढ़ में सागै रहणै रो, म्हे भी मोको पायो।
याद करां थांरी सहजता, मनडो म्हारो हुलसायो।
बाजी जीतो सतिवर! अब थे, जागी है पुण्याई॥
गुरुदृष्टि रो कर आराधन जीवन सफल बणायो।
नगरां-गावां विचर्या, गण रो गौरव खूब बढ़ायो।
छेलो पावस दिल्ली में कर, जस झंडी फहराई॥
शशि रेखा जी, शतीलयशा जी धुर स्यूं थांरै सागै।
रोहित-मंदार अरु कांतप्रभाजी, सेवा में है आगै।
पांचू सतियाँ आगीवान री सेवा खूब बजाई।
‘साध्वी अणिमा’ पांचू सतियां री कलि-कलि विकसाई॥
लय : जहाँ डाल-डाल----
--------------------------------------