छाया हर्ष महान
शासनश्री साध्वी कुंथुश्री
चंदेरी की लाल लाडली, उगा स्वर्ण विहान।
साध्वीप्रमुखा गण की शान।।
सरदारशहर की पुण्य धरा पर,
गुरु महाश्रमण ने मनोनयन कर।
विश्रुतविभा जी नाम सुनाया,
खुशियों का सागर लहराया।
गूँज उठा जनता का कण-कण, छाया हर्ष महान।।
सेवा ज्ञान विनय समर्पण,
गुरुइंगित में सब कुछ अर्पण।
जागरूक अप्रमत्त विलक्षण,
चिंतन में चातुर्य विचक्षण।
साधना स्वाध्याय ध्यान में रत, चरण सतत गतिमान।।
नियमित संयमित जीवनशैली,
समय प्रबंधन कला निराली।
फौलादी संकल्प तुम्हारा,
श्रमणी गण की करो रुखाली।
वर्धापन अभिवादन करते गाएँ मधुमय गान।
सौ-सौ बधाई देते तुमको गाएँ मंगल गान।।
लय: कितना बदल गया इंसान---