भिक्षु चरमोत्सव के विविध आयोजन

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भिक्षु चरमोत्सव के विविध आयोजन

गांधीनगर
तेरापंथ भवन में मुनि अर्हत कुमार जी के सान्निध्य में 220वाँ आचार्य भिक्षु चरमोत्सव दिवस का कार्यक्रम आयोजित हुआ। मुनिश्री ने कहा कि इतिहास उम्र के पैमानों से नहीं कर्तृत्व की तेजस्विता से बनता है। इतिहास उन्हीं का बनता है, जिसमें कुछ करिश्मा होता है। कलात्मक जीवन जीने का सलीका होता है। ऐसे ही एक करिश्माई व्यक्तित्व के धनी हुए-आचार्य भिक्षु। जिन्होंने विकट परिस्थितियों की परवाह किए बिना सत्य को जीया और उसी के प्रकाश से विश्व को प्रकाशित किया। क्रांति की जलती मशाल का नाम है-आचार्य भिक्षु। उन्होंने जैन धर्म को जन धर्म बनाने का अथक प्रयाय किया।
युवा संत मुनि भरत कुमार जी ने कहा कि उनकी साधना बहुत गहरी थी, उनका मंत्र बहुत चमत्कारी है। बाल संत मुनि जयदीप कुमार जी ने गीत का संगान किया। सभा अध्यक्ष कमल सिंह दुगड़ ने सभी का स्वागत किया। महासभा कर्नाटक दक्षिण आंचलिक प्रभारी प्रकाश चंद लोढ़ा, महिला मंडल अध्यक्षा स्वर्ण माला पोखरणा, तेयुप अध्यक्ष प्रदीप चोपड़ा, अणुव्रत समिति मंत्री माणकचंद संचेती, निर्मल राजेश सिद्ध मूथा से पवन बंचावत, लता गादिया ने विचार व्यक्त किए। बहादुर सेठिया, रोहित कोठारी ने गीत की प्रस्तुति दी।