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चेतना की निर्मलता के विकास का करें प्रयास: आचार्यश्री महाश्रमण
लाडनूं, 13 नवंबर, 2022
सबकी आशाओं को यथानुकूलता पूर्ण कराने वाले आचार्यश्री महाश्रमण जी का जैन विश्व भारती का तीसरे दिन का प्रवास और हरियाणा क्षेत्र के श्रावकों की परमपूज्य चरण में हरियाणा पधारने की पुरजोर प्रार्थना आज कई क्षेत्रों में चातुर्मास संपन्न कर साध्वीवृंदों ने पूज्यप्रवर के दर्शन किए। सरदारशहरवासियों ने भी पूज्यप्रवर से चातुर्मास फरमाने की अर्ज की। करुणा निधान परम पावन ने मंगल प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि अर्हत् वाङ्मय में कहा गया है-आदमी का जीवन संयम-प्रधान होता है, तो वह सुख प्राप्त कर सकता है। जीवन में असंयम का प्राधान्य होता है, तो मानना चाहिए दुःख प्राप्ति की तैयारी है। हो सकता है, दुःख प्राप्त करना शुरू हो गया हो।
अणुव्रत में संयम, नैतिकता और अहिंसा की बात है। शास्त्रकार ने पाँच आश्रवों के बारे में बताया है। इन पापकारी प्रवृत्तियों को छोड़ने वाला महाव्रती साधु होता है। दूसरा मार्ग है-अणुव्रत- छोटे-छोटे नियम। इनको गृहस्थ आसानी से स्वीकार कर सकता है। मनुष्य जीवन में त्याग, तपस्या और संयम हो तो यह मानव जीवन सफल-सुफल हो सकता है। मानव जीवन पापाचार से दुष्फल न बने। अभयदान सबसे बड़ा दान है। साधु अभयदान दाता होता है। हिंसा का परित्याग कर देना, आत्मा को निर्मल बनाने का एक उपाय है। श्रावक बड़ा झूठ न बोले, बड़ी चोरी न करे। न्याय के लिए अन्यायपूर्ण कार्य नहीं करना चाहिए। हमें चेतना की निर्मलता के विकास का प्रयास करते रहना चाहिए।
सरदारशहर की ओर से प्रतिनिधि के रूप में सुजानमल दुगड़ ने चातुर्मास व मर्यादा महोत्सव फरमाने की अर्ज की। पूज्यप्रवर ने फरमाया कि साध्वी सुमतिप्रभा जी को सलक्ष्य सरदारशहर भिजवाया था। हरियाणा से लगभग 1000 श्रावक-श्राविकाएँ हरियाणा प्रांतीय सम्मेलन के लिए आए हैं। पदमचंद जैन ने अपनी भावना-अर्ज श्रीचरणों में निवेदन किया। पूज्यप्रवर ने फरमाया कि जब भी अनुकूलता होगी तब यथासंभव तथा हरियाणा की विस्तृत यात्रा करने का भाव है। उस यात्रा में कम से कम 108 दिन हरियाणा में विचरने का भाव है।
शासनमाता साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभा जी की 11 पुस्तकों का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद हुआ है। जैन विश्व भारती द्वारा प्रकाशित यह साहित्य पूज्यप्रवर के करकमलों में लोकार्पित किया गया। पूज्यप्रवर ने फरमाया कि ये 11 पुस्तकें लोकार्पित हुई हैं। साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभा जी का यह 50 वर्षों का कार्यकाल का संपन्नता का अवसर भी आया। उनमें एक वैदुष्य भी था। व्यक्तित्व और कर्तृत्व भी अपने ढंग का था। यह साहित्य पाठक व अन्यजनों को प्रेरणा देने वाला, सन्मार्ग बताने वाला सिद्ध हो। जिन्होंने श्रम किया है, उनका श्रम भी सार्थक हो। जैविभा धार्मिक आध्यात्मिक कार्य करती रहे।
अमृतवाणी के संस्थापक जेसराज सेखाणी का जीवन-वृत्त ग्रंथ ‘गाथा पुरुषार्थ की’ का पूज्यप्रवर के चरणों में लोकार्पित किया गया। सेखाणी जीवन के सौवें वर्ष में चल रहे हैं। पूज्यप्रवर ने फरमाया कि यह ग्रंथ जेसराज सेखाणी के विषय में है। ये अपने ढंग के व्यक्ति हैं। आश्चर्य की बात है कि सौवें वर्ष का आदमी उठ-बैठकर वंदना करते हैं। ये धार्मिक साधना करते रहें। इन्होंने धर्मसंघ के गुरुओं की वाणी को सुरक्षित रखने का कार्य किया है, जो अपने आपमें विशिष्ट है। चित्त में समाधि रहे, साधना चलती रहे। सुखराज सेठिया ने इस ग्रंथ के बारे में जानकारी दी। सरिता, संगीता सेखानी ने जीवन यात्रा के बारे में बताया।
जैन विश्व भारती द्वारा प्रदत्त पुरस्कारों में सलिल लोढ़ा ने नेमचंद, जेसराज सेखानी चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा पानी देवी सेखानी की स्मृति में वर्ष-2021 का संघ सेवा पुरस्कार शासनसेवी मूलचंद नाहर को प्रदान किया। पूज्यप्रवर ने आशीर्वचन फरमाया। मूलचंद नाहर एवं शशिकला नाहर ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। लाडनूं सेवा केंद्रों में सेवादायी मुनि विजयकुमार जी, मुनि तन्मयकुमार जी, साध्वी प्रबलयशा जी ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। साध्वी सुमतिप्रभा जी, साध्वी उदितयशा जी ने पूज्यप्रवर के दर्शन किए। साध्वी स्वस्तिकश्री जी ने शासनमाता के ग्रंथों के बारे में जानकारी दी।
महासभा अध्यक्ष मनसुख सेठिया ने लाडनूं स्थित अभ्युदय भवन के स्थान पर उपासक श्रेणी का उपासक साधना केंद्र का पुननिर्माण करवाने की घोषणा की। पूज्यप्रवर ने प्रातःकाल वहाँ मंगलपाठ भी सुनाया था। उपासक श्रेणी के प्रभारी जयंतीलाल ने इसे बनाने का दायित्व लिया है। सचिवालय को नया बनाने के लिए रमेश बोहरा ने आर्थिक सहयोग देने की घोषणा की। राजेंद्र खटेड़ ने अभातेयुप की ओर से मूलचंद नाहर का सम्मान किया। उपासक श्रेणी को पूज्यप्रवर ने आशीर्वचन फरमाया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।