मोक्ष की सीढ़ी कार्यक्रम

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मोक्ष की सीढ़ी कार्यक्रम

विजयनगरम्
मुनि ज्ञानेंद्र कुमार जी, मुनि प्रशांत कुमार जी के सान्‍निध्य में मुनि कुमुद कुमार जी, मुनि विमलेश कुमार जी के निर्देशन में तेममं के तत्त्वावधान में ‘मोक्ष की सीढ़ी’ चंडकौशिक का डंक’ कार्यक्रम का आयोजन हुआ। मुनि ज्ञानेंद्र कुमार जी ने कहा मोक्ष पहुँचने के लिए जीवन में साधना की अपेक्षा होती है। गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी साधु की तरह जीवन जी सकते हैं।
मुनि प्रशांत कुमार जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में ॠषि-मुनियों की प्राचीन संस्कृति रही है। आगम में श्रावक जीवन साधु जीवन की आचार संहिता, साधना, कर्म मुक्‍ति का तीर्थंकरों ने उपदेश दिया है। मोक्ष जाने के लिए पुरुषार्थ एवं भाग्य दोनों अपेक्षित होते हैं। आत्मसाधना करने वाला अपने कर्मों का क्षय करता है। कर्म क्षय होने से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। मुनि कुमुद कुमार जी ने श्रावकों का ज्ञान बढ़े इसी द‍ृष्टि से यह कार्यक्रम आयोजित किया।
मुनि कुमुद कुमार जी के निर्देशन में आयोजित कार्यक्रम पाँच राउंड में चला, जिसमें भगवान ॠषभ, भगवान महावीर जैन धर्म एवं सामान्य ज्ञान का उपक्रम चला। सामायिक, स्वाध्याय, वाणी संयम, जप, ध्यान पर अपने विचारों की प्रस्तुति देने के साथ प्रेरणादायक गीत का संगान किया। सिद्ध ग्रुप, आचार्य ग्रुप, मुनि गु्रप ने मोक्ष को प्राप्त किया। जैन इतिहास जैन दर्शन में वर्णित जीवन के मूल्यपरक मापदंडों को जानने का यह उपक्रम बहुत रोचक रहा। प्रतिभागियों से विविध रूप से जानकारी प्राप्त की गई। संपूर्ण परिषद से भी जैन इतिहास, तत्त्व एवं सामान्य ज्ञान की जानकारी प्राप्त की गई।
मुनि कुमद कुमार जी एवं तेयुप सहमंत्री तरुण हीरावत ने इस कार्यक्रम का संचालन किया। नीतू एस0 दुगड़ ने कार्यक्रम की उपयोगिता को उजागर किया। स्कोर बोर्ड की भूमिका का निर्वाहन करते हुए अंशुल बोकड़िया ने सभी का मूल्यांकन किया। समय प्रबंधन की भूमिका संजय गांधी ने पूर्ण की। महिला मंडल की बहनों के मंगलाचरण से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। आभार ज्ञापन हर्षा नाहटा ने किया।