
तप अभिनंदन समारोह
नोहर
संवत्सरी के बाद भी तपस्या की गंगा नोहर में
बह रही है। भाई संजय के मासखमण के अलावा
कई तपस्याएँ अब भी चल रही हैं। शासनश्री मुनि विजय कुमार जी ने तपस्वी संजय के अनुमोदना कार्यक्रम में सभी को संबोधित करते हुए कहा कि
जैन साधना पद्धति में तपस्या का महत्त्वपूर्ण स्थान
है। जिसका संकल्प बल मजबूत होता है वह तपस्या कर सकता है। इंद्रियाँ और मन पर जिसका नियंत्रण होता है वही इस दुष्कर मार्ग पर अपने कदम बढ़ाता है। धर्माराधना के अनेक उपक्रम हैं, उनमें एक हैतपस्या।
तेरापंथ का इतिहास तपस्वी साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविकाओं से भरा पड़ा है। चार मासी और मासखमण करने वाले तपस्वियों का आँकड़ा तो
बहुत बड़ा है। भाई संजय ने मासखमण तप करके आत्मबल का परिचय दिया है। व्यक्ति सब कुछ
सह जाता है किंतु भूख को सहना सहज नहीं है।
तपस्या का कीर्तिमान भाई संजय ने बनाया है,
किंतु यह हमारे चातुर्मास का गौरव बन गया। कार्यक्रम में जैनों के अलावा अन्य समाज के व्यक्तियों ने भी भाग लिया। आसपास के क्षेत्रों के भाई लोग भी
काफी संख्या में उपस्थित थे। मुनिश्री ने तपस्वी भाई संजय की अनुमोदना में गीत प्रस्तुत किया। तपस्या का एक दूसरा प्रकार भी मुनिश्री ने बताया कि व्यक्ति क्षमा-मैत्री का मासखमण तप करके अपने मन को शांत और स्वस्थ बनाएँ।
मुनिश्री ने नमस्कार महामंत्र के उच्चारण से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। स्थानीय तेरापंथ महिला मंडल, कन्या मंडल व तेरापंथ युवक परिषद के सदस्यों ने तपस्वी के अभिनंदन में सामुहिक गीतों का संगान किया। तपोभिनंदन कार्यक्रम में नोहर नगरपालिका अध्यक्ष मोनिका खटोटिया, गंगानगर तेरापंथ सभा आंचलिक अध्यक्ष सुरेंद्र कोठारी, समाज सेवी किशन चाचाण, महेश्वरी सभा के अध्यक्ष राजू थिरानी विशेष रूप से उपस्थित थे। तपस्वी के सम्मान में इन्होंने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। भूतपूर्व पार्षद, तपस्वी संजय धर्मपत्नी उषा देवी श्यामसुखा ने अपने पति की लंबी तपस्या पर अपनी प्रसन्नता प्रकट की व समस्त समाज का आभार व्यक्त किया।
इस प्रसंग पर साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभा जी का तपस्वी के प्रति प्राप्त मंगलकामना संदेश का सभा प्रधान मनोज सिपानी, महेंद्र छाजेड़ ने वाचन किया। तेरापंथ सभा, महिला मंडल, तेयुप, कन्या मंडल ने तपस्वी के अभिनंदन में स्मृति चि भेंट किया। सुनीता सुराणा, प्रवीण सिंघी, प्रिया बांठिया, किरण देवी छाजेड़, अंजु देवी सिपानी, विनोद बरड़िया, पुष्पा सिपानी, नीरज बांठिया आदि ने गीत व भाषण के द्वारा तपस्वी की अनुमोदना की। कार्यक्रम का संयोजन साधिका सुशीला बांठिया ने किया।