नमस्कार महामंत्र से होता है आत्म रक्षा कवच का निर्माण

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नमस्कार महामंत्र से होता है आत्म रक्षा कवच का निर्माण

तेरापंथ भवन कांदीवली में साध्वी डॉ. मंगलप्रज्ञाजी के सान्निध्य में नमस्कार महामंत्र-आत्म रक्षा कवच अनुष्ठान का भव्य आयोजन तेयुप कांदीवाली और मलाड के तत्वावधान में आयोजित हुआ। अनुष्ठान में संभागी सैकडों साधक-साधिकाओं को सम्बोधित करते हुए साध्वीश्री ने कहा- नमस्कार महामंत्र महा-मृत्युंजय जप है। इसकी आराधना विघ्न-बाधाओं को दूर करती है। आधि, व्याधि, उपाधि निवारक यह विशद मंत्र है। इस मंत्र की एकलयता से साधकों ने अनेक ऋद्धियां-सिद्धियां प्राप्त की है। हमें यह महामंत्र विरासत में मिला है। इस महामंत्र की साधना से प्राणशक्ति वृद्धिंगत होती है।
साध्वीश्री जी ने कहा- तात्विक दृष्टि से चिन्तन करें तो हमारा तेजस शरीर मंत्र साधना की तेजस शक्ति को सक्रिय बना देता है। नमस्कार महामंत्र से जैनाचार्यों ने हजारों मंत्र बनाए। आत्मा की सुरक्षा, शरीर की सुरक्षा के लिए नमस्कार मंत्र महान औषध है। साध्वीश्री जी द्वारा संभागियों का अनुष्ठान करवाया गया। तेरापंथ युवक परिषद कांदीवली अध्यक्ष राकेश सिंघवी ने स्वागत स्वर प्रस्तुत किए।साध्वी वृंद ने साध्वी डॉ. मंगलप्रज्ञा जी द्वारा रचित ‘परमेष्ठी स्तम्भ’ का सामूहिक संगान किया। तेयुप मलाड अध्यक्ष जयन्ती मादरेचा ने आभार ज्ञापन किया। इस अवसर पर समण संस्कृति संकाय द्वारा आयोजित होने वाली जैन विद्या परीक्षा के बैनर का लोकार्पण किया। ज्ञानशाला प्रशिक्षिका संगीता इंटोदिया ने विचार व्यक्त किए।