प्रसन्नता से बढ़ती रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति

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प्रसन्नता से बढ़ती रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति

आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या डॉ. साध्वी गवेषणाश्री के सान्निध्य में 'बी हैप्पी, नॉर्मल बीपी' कार्यशाला का आयोजन जैन तेरापंथ नगर, माधावरम् में हुआ। डॉ. साध्वी गवेषणाश्रीजी ने कहा कि हम अपने कपड़े बदलते हैं, हमारे एड्रेस बदलते रहते हैं, लेकिन हम हमारे चेहरे को स्माईल नहीं रख पाते हैं, बदलते रहते हैं। हमें अपने जीवन की प्रसन्नता को नहीं भूलना चाहिए। जीवन को यदि बीमारी रहित रहना है तो खुश रहें। यह सुखी जीवन का बहुत बड़ा मंत्र है। रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति को बढ़ाने का बहुत बड़ा साधन है। जरूरत है किसी से बात करे तो मुस्कुराकर करे, किसी से मिले तो मुस्कुराकर मिले। हम जो भी कार्य करे खुशियों के साथ करें।
साध्वी मयंकप्रभाजी ने कहा कि मुस्कान वह चंदन का तिलक है, जिसके माथे पर लगेगा, वह भी महकेगा और जिस अंगूठे से लगाओगे वह भी सुगन्धित हो जायेगा। स्वस्थ रहना है तो आवश्यक है दिन का प्रारंभ और समापन खुशी के साथ करें। साध्वी दक्षप्रभाजी ने सुमधुर गीतिका प्रस्तुत की। साध्वी मेरुप्रभाजी ने कुशलतापूर्वक कार्यक्रम का संचालन किया। मुंबई से समागत महिला मंडल प्रभारी सुनीता गेलडा ने अपने विचार रखे।