साधना से सिद्धि एवं सफलता संभव

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साधना से सिद्धि एवं सफलता संभव

श्री लाल गंगा पटवा भवन, टैगोर नगर के जय समवसरण में तेरापंथ युवक परिषद्, रायपुर द्वारा आयोजित कार्यशाला ‘कैसे जानें भाग्य का विज्ञान’ में आचार्यश्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि सुधाकरजी ने कहा कि साधना से सफलता एवं सिद्धि संभव है। हर व्यक्ति अपने भाग्य का विधाता स्वयं है। अपने उत्थान, पतन, विनाश का वह स्वयं जिम्मेदार है। कर्ता भी वह है भोक्ता भी वह है। भाग्य विज्ञान को जानने के लिए कर्म विज्ञान को जानना जरूरी है। जगत, प्राणी, समय, ग्रह के अधीन हैं, परंतु ग्रह कर्म के अधीन हैं। ग्रह कर्म अनुसार ही व्यक्ति को शुभ-अशुभ फल देते हैं। हमें भाग्य विज्ञान पर विचार करने के लिए कर्म विपाक पर निरंतर चिंतन करना चाहिए। मुनिश्री ने कैसे जाने भाग्य के विज्ञान पर विवेचन करते हुए कहा कर्म की दस अवस्थाओं में संक्रमण नामक अवस्था यह संदेश देती है कि कर्मों को बदला जा सकता है। मुनिश्री ने राशि, ग्रह, नक्षत्रों की चर्चा करते हुए कहा नमस्कार महामंत्र एवं तीर्थंकर व सिद्धों की स्तुति से भी भाग्योदय संभव है। मुनि नरेशकुमार जी ने धर्म पर दृढ़ रहने की प्रेरणा दी। कार्यशाला में मंगलाचरण गणेश सुखलेचा, संजय सिंघी, विवेक बैद, अरुण सिपानी द्वारा किया गया। संचालन वीरेंद्र डागा, स्वागत वक्तव्य विकास बरलोटा व आभार ज्ञापन जय चोपड़ा द्वारा किया गया। कार्यशाला में सकल जैन समाज के धर्मानुरागी श्रावक-श्राविका सहभागी बने।