अभातेममं के तत्वावधान में चित्त समाधि शिविर के विभिन्न कार्यक्रम

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अभातेममं के तत्वावधान में चित्त समाधि शिविर के विभिन्न कार्यक्रम

श्री लाल गंगा पटवा भवन में मुनि सुधाकर जी के सान्निध्य में तेरापंथ महिला मंडल द्वारा ‘कैसे करें चित्त समाधि का विकास?’ विषय पर विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। मुनिश्री ने बताया कि आत्मा और परमात्मा के बीच में जो अवरोध है उन्हें समाप्त करना ही चित्त समाधि है। मुनिश्री ने कहा कि हमारे जीवन में जो असंयम और परिग्रह की भावना है वही हमारे दुःखों का प्रमुख कारण है। जीवन शैली तो संयम प्रधान होनी चाहिए अर्थात चलने में संयम, बोलने में संयम, खाने में संयम, आवेश और आवेग में संमय। मुनिश्री ने आगे बताया कि जहा क्रिया होगी वहां प्रतिक्रिया अपेक्षित है परंतु हमें उस क्रिया की प्रतिक्रिया में उलझना नहीं है क्योंकि प्रतिक्रिया वेदना देती है फिर चाहे वह शरीर की हो या मन की। मुनिश्री ने चित्त समाधि के विषय में तीन प्रयोग बताएं - पहला प्रतिक्रिया नहीं समीक्षा होनी चाहिए। दूसरा प्रतिस्पर्धा नहीं प्रेरणा होनी चाहिए और तीसरा पदार्थ की प्रतिबद्धता नहीं अप्रतिबद्धता होनी चाहिए। मुनि नरेशकुमार जी ने कहा कि धर्म हमें असमाधि से समाधि की ओर ले जाने वाला होता है। मंगलाचरण तेममं व आभार मधुर बच्छावत द्वारा किया गया।