अभातेयुप के तत्वावधान में देशभर में हुआ समता की साधना 'अभिनव सामायिक' का प्रयोग
जीवन को कलापूर्ण और सफल बनाने के लिए विषमता में भी समता से जीना अर्थात सामायिक में रमण करना जरूरी है। परिवार और समाज में नाना प्रकार के स्वभाव और संस्कार के व्यक्ति होते हैं, उस स्थिति में समता और सामंजस्य का अभ्यास बहुत जरूरी होता है। सामायिक हमें समता में रहने का अभ्यास कराती है। जिसका मन स्वस्थ और सन्तुलित होता है वह प्रतिकूल परिस्थिति को भी अनुकूल बना सकता है। परिवार और समाज के मुखिया के लिए समता और शान्ति की साधना जरूरी है, तभी वे नेतृत्व की जिम्मेदारी को सफलता से पूरा कर सकते हैं। उक्त उद्गार 'पर्युषण महापर्व' के तृतीय दिवस सामायिक दिवस पर मुनि सुधाकर जी ने कहे। मुनि नरेश कुमार जी ने गीतिका का संगान किया। तेयुप,रायपुर द्वारा आयोजित अभिनव सामायिक में सम्पूर्ण तेरापंथ समाज के साथ विशेष रूप से तेयुप, रायपुर सदस्य पकंज बैद, नवीन दुगड़, योगेश बाफना, संदीप बोथरा, निर्मल गांधी, गौरव दुगड़, वीरेंद्र डागा की सहभागिता रही। मंगलाचरण तेममं व तेयुप सदस्यों द्वारा किया गया।