आत्म कल्याण के निमित्त होनी चाहिए तपस्या
मुनि सुधाकर कुमार जी की प्रेरणा से छठे मासखमण की तपस्या का प्रत्याख्यान व अभिनंदन समारोह श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, रायपुर द्वारा आयोजित किया गया। मंगलाचरण तेरापंथ महिला मंडल, रायपुर व संचालन सूर्य प्रकाश बैद द्वारा किया गया। अभिनंदन समारोह में सभा, तेममं, तेयुप के अध्यक्षों व टीपीएफ मंत्री एवं पारिवारिक जन ने अपनी-अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए तपस्या का अनुमोदन किया। मुनि सुधाकर जी ने तपस्वी अभिलेष कटारिया की तपस्या की अनुमोदना करते हुए उनके आध्यात्मिक जीवन हेतु मंगलकामना की।
मुनिश्री ने उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि तपस्या आत्मकल्याण के निमित्त होनी चाहिए न कि बाह्य आडम्बर के हेतु। ज्ञान, दर्शन, चारित्र का जितना महत्व हमारे जीवन में होता है उतना ही तप का भी होता है। मुनिश्री ने आगे कहा कि तपस्या क्यों करनी यह विशेष ध्यान रखना चाहिए। तपस्या तो केवल अपनी आत्मा के कल्याण हेतु अन्य भावनाओं को गौण करते हुए करनी चाहिए। तपस्यारत तपस्वी को यह भावना रखनी चाहिए कि मैं तो निमित्त मात्र हूं, तपस्या तो देव-गुरु-धर्म के प्रताप अर्थात पुण्य के उदय से हो रही है। तपस्या समता भाव, संयम अनुपालना व जगत के सभी प्राणीमात्र के प्रति प्रेम भाव के साथ करनी चाहिए। तपस्या त्याग की भावना से करनी चाहिए न कि कामना की भावना से। अभिनंदन समारोह में विशेष रूप से दुर्ग से पधारे मासखमण तपस्वी पूनम संचेती भी उपस्थित थे।