शरद पूर्णिमा पर अनुष्ठान का आयोजन
साध्वी डॉ. गवेषणाश्रीजी ने शरद पूर्णिमा के पावन अवसर पर जैन तेरापंथ नगर, माधावरम, चेन्नई में लोगस्स कल्प का अनुष्ठान कराते हुए कहा कि लोगस्स शक्ति जागरण का एक महत्वपूर्ण और शक्तिशाली प्रयोग है। यह अत्यधिक गंभीर और उत्तम गुणों से युक्त स्तोत्र है। इस पाठ में चौबीस तीर्थंकरों की स्तुति की गई है, जिनके स्तवन से सहज ही कर्मों की निर्जरा होती है और पवित्रता का विकास होता है। साध्वीश्री ने आगे कहा कि इस मंत्र साधना के प्रयोग से भावशुद्धि, लेश्या विशुद्धि और आत्मिक प्रसन्नता की अनुभूति होती है। साध्वी मयंकप्रभाजी ने कहा कि वैदिक संस्कृति के अनुसार, आज के दिन चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होता है। जैसे कमल सूर्य की प्रथम किरण से खिल जाता है, वैसे ही वीतराग आत्माओं के गुणानुवाद से सुख की प्राप्ति होती है। इस कल्प अनुष्ठान में अनेक भाई-बहनों ने भाग लिया।