दीपावली एवं 2551वें वीर निर्वाण संवत् पर मंगलपाठ के विविध आयोजन

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दीपावली एवं 2551वें वीर निर्वाण संवत् पर मंगलपाठ के विविध आयोजन

साध्वी डॉ. गवेषणाश्रीजी ने कहा- जैन धर्म में दीपावली का संबंध भगवान महावीर से जुड़ा हुआ है। यह पर्व दीपों का, उजालों का पर्व है। भगवान महावीर तीस वर्ष तक विदेह रहकर गृहवास में रहे। साढ़े बारह वर्षों तक उनका साधना काल रहा। उस साधनाकाल में अनेक संघर्ष, उपद्रव आदि आये पर भगवान महावीर उनमें अडिग रहे। जीवन के संध्याकाल में संलेखना स्वीकार कर ज्योति-ज्योति में विलीन हो गयी।
साध्वी मयंकप्रभा जी ने कहा- भगवान की अंतिम देशना रूप उत्तराध्ययन का वाचन इन दिनों में विशेष रूप से किया जाता है। साधारणतया लोग इन पुनीत अवसर पर लक्ष्मी, कुबेर आदि की भी पूजा करते है। आज के दिन ही धन्वंतरी का जन्म हुआ था, राम 14 वर्षों का वनवास पूर्ण कर अमावस्या के दिन ही अयोध्या आये थे। साध्वी मेरुप्रभा जी ने गीतिका प्रस्तुत की। साध्वी दक्षप्रभाजी के मंगलाचरण से कार्यक्रम की शुरुआत हुईं। भगवान महावीर के संबद्ध मंत्रों का 13 घंटे तक अखंड जप भी किया गया।