गणाधिपति गुरुदेव श्री तुलसी के 111वें जन्मदिवस पर विविध कार्यक्रम

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गणाधिपति गुरुदेव श्री तुलसी के 111वें जन्मदिवस पर विविध कार्यक्रम

साध्वी उदितयशा जी के सान्निध्य में तेरापंथ भवन, गांधीनगर में आचार्य श्री तुलसी का 111वां जन्मदिवस 'अणुव्रत दिवस' के रूप में मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत नमस्कार महामंत्र से हुई। प्रज्ञा संगीत सुधा के सदस्यों ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। इस अवसर पर साध्वी उदितयशा जी ने कहा कि दो प्रकार के व्यक्ति होते हैं—अंतः दृष्टि वाले और बाह्य दृष्टि वाले। अंतः दृष्टि से आंतरिक अंधकार मिटता है, जबकि बाह्य दृष्टि से चीजें जैसी दिखाई देती हैं, वैसी ही समझ में आती हैं। गुरुदेव तुलसी ने रूढ़िवाद, अनैतिकता, और अप्रमाणिकता पर गहरा प्रहार किया। उन्होंने अपने कर्तव्यों को कभी नहीं छोड़ा और समाज को उजाले से भर दिया। उन्होंने बंद आंखों से ऐसे सपने देखे, जो हम खुली आंखों से भी नहीं देख सकते, और उन्होंने उन सभी सपनों को साकार किया। साध्वी भव्ययशा जी ने कहा कि यदि गुरुदेव तुलसी का कोई विरोध करता, तो वे कहते, 'जो हमारा करे विरोध, हम समझे उसे विनोद।' साध्वी शिक्षाप्रभा जी ने गीत के माध्यम से अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। साध्वी संगीतप्रभा जी ने संस्मरण और गीत के द्वारा अपने परम उपकारी के प्रति भाव प्रकट करते हुए कार्यक्रम का कुशल संचालन किया। इस अवसर पर अणुव्रत समिति के अध्यक्ष देवराज रायसोनी, सुरेंद्र नाहटा, ललित सेठिया, आदित्य सेठिया, और हर्षिल बरड़िया ने भी गीतों के माध्यम से गुरुदेव तुलसी के प्रति अपने श्रद्धासिक्त भाव व्यक्त किए।